भारत सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) के निर्देश पर 7 मई 2025 को पूरे देश में एक व्यापक नागरिक रक्षा मॉक ड्रिल (mock drill) आयोजित की जाएगी। यह ड्रिल मुख्य रूप से युद्ध या हवाई हमले जैसी परिस्थितियों में आपातकालीन तैयारी और प्रतिक्रिया को परखने के लिए की जा रही है। अगस्त में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सुरक्षा तैयारियों को और मजबूत करने का निर्देश दिया था। इसके मद्देनज़र गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को युद्ध-लक्षम संकट की स्थिति के लिए नागरिक सुरक्षा अभ्यास बढ़ाने के आदेश दिए हैं। सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि 7 मई की मॉक ड्रिल किसी तत्काल युद्ध के संकेत नहीं, बल्कि आपातकालीन तैयारियों को मजबूत करने का एक अभ्यास है।
मॉक ड्रिल (Mock Drill) क्या है?
मॉक ड्रिल (Mock Drill) मूलतः एक तैयारी अभ्यास है, जिसमें वास्तविक संकटों के परिदृश्यों का अनुकरण करके नागरिकों और सरकारी मशीनरी की तत्परता की जाँच की जाती है। यह युद्ध या मिसाइल हमले जैसी आपात स्थितियों में लोगों और प्रशासन की प्रतिक्रिया को परखने का एक तरीका है। अभ्यास के दौरान फायर ब्रिगेड, पुलिस या सिविल डिफेंस द्वारा एयर-रेड सायरन बजाने, शहरों में बिजली बंद (ब्लैकआउट) करने, नागरिकों को सुरक्षित आश्रयों में पहुँचाने और बचाव दलों के अभ्यास को यथार्थपद रूप में लागू किया जाता है। हर तरह की आपात स्थिति में अधिकारियों और आम जनता के बीच समन्वय बनाये रखने के लिए यह ड्रिल आवश्यक मानी जाती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसा अभ्यास भ्रम और पैनिक की स्थिति को रोकने में मदद करता है और वास्तविक आपदा के समय जिंदगियाँ बचने में सहायक होता है।
गृह मंत्रालय और सिविल डिफेंस की भूमिका
ड्रिल (Mock Drill) का आयोजन सीधे गृह मंत्रालय के नागरिक रक्षा विभाग के निर्देश पर हो रहा है। इस प्रयोजन के लिए गृह मंत्रालय ने 1968 के सिविल डिफेंस नियमों के तहत विभिन्न राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वे जिलेवार तैयारी बढ़ाएँ। गृह मंत्रालय ने सभी संबंधित विभागों, नगर निगमों एवं पुलिस-प्रशासन को हिदायत दी है कि वे आपात स्थिति के लिए हॉर्न, सायरन और रेडियो लिंक जैसे उपकरणों को चालू रखें तथा नागरिकों को बचाने के लिए सदैव तैयार रहें। उदाहरण के लिए, यूपी में गृह मंत्रालय के आदेश पर 19 जिलों में ड्रिल की रूपरेखा बनाई गई है, और पुलिस-प्रशासन से कहा गया है कि सभी महत्त्वपूर्ण संस्थानों (इंफ्रास्ट्रक्चर) की सुरक्षा एवं कैमोफ्लाज को तैयार रखें। अधिकारियों ने यह भी बताया कि “तैयारी ही जीवन बचाती है”, इसलिए नागरिक रक्षा एवं होम गार्ड जैसी एजेंसियां मिलकर नागरिक सुरक्षा के हर आयाम को ट्रेनिंग देने में जुटी हैं।
7 मई की मॉक ड्रिल (Mock Drill) का उद्देश्य
यह ड्रिल (Mock Drill) पिछले दिनों भारत-पाक सीमा पर बढ़े तनाव के बीच आयोजित की जा रही है। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद रक्षा तैयारियाँ बढ़ा दी गईं हैं, जिससे अचानक आने वाली संकटों से निपटना आसान हो सके। गृह मंत्रालय ने साफ किया है कि फिलहाल किसी युद्ध की स्थिति नहीं है, लेकिन “नए और जटिल खतरों” को देखते हुए सतर्कता बनाए रखना जरूरी है। साथ ही रक्षा मंत्रालय की भी रिपोर्ट है कि कुछ महत्वपूर्ण रक्षा प्रतिष्ठानों पर आतंकवादी हमले की आशंका जताई जा रही थी, इसलिए 7 मई का ड्रिल युद्ध-जैसी तैयारी की ट्रेनिंग के तौर पर लिया जा रहा है। सारांश यह है कि यह ड्रिल जनता और प्रशासन को युद्ध जैसी स्थिति में अपने कर्तव्यों को समझने और अभ्यास करने का मौका देती है, जिससे आवश्यकता पड़ने पर सिस्टम पूरी क्षमता से काम करे।
ड्रिल का पैमाना और विस्तार
इस मॉक ड्रिल (Mock Drill) का पैमाना बेहद व्यापक है। गृह मंत्रालय के आदेशानुसार इसे कुल 244 नागरिक रक्षा जिले (civil defence districts) में आयोजित किया जा रहा है। इन जिलों का चयन सीमावर्ती और संवेदनशील क्षेत्रों, जैसे परमाणु संयंत्र, सैन्य अड्डों, रिफाइनरी, बांध इत्यादि वाले जिलों को ध्यान में रखकर किया गया है। मीडिया रिपोर्टों में इसे लगभग 300 संवेदनशील नागरिक रक्षा जिलों में बताया गया है, जो देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैलते हैं। उदाहरणस्वरूप, उत्तर प्रदेश में 19 मुख्य जिलों को चिन्हित किया गया है, वहीं दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, महाराष्ट्र इत्यादि राज्यों के कई जिलों में भी तैयारी की जाएगी। ड्रिल के दौरान जिला नियंत्रण कक्ष, होम गार्ड्स, एनसीसी, एनएसएस, एनवाईकेएस जैसे नागरिक स्वयंसेवकों के साथ-साथ स्कूल-कॉलेजों के छात्रों को भी शामिल किया जाएगा। सभी लोग स्थानीय पुलिस, अग्निशमन विभाग तथा भारतीय सशस्त्र बलों के साथ मिलकर स्थितियों का अभ्यस्त करने के लिए अभ्यास करेंगे। यह तैयारी 1971 के भारत-पाक युद्ध या 2008 के मुंबई हमलों के बाद की गई सबसे व्यापक तैयारी मानी जा रही है।
नागरिकों के लिए संभावित परिदृश्य
ड्रिल के दौरान नागरिकों को कुछ अस्थायी बाधाओं और अभ्यासों का सामना करना पड़ सकता है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार जनता को मुख्यतः निम्नलिखित गतिविधियाँ देखने को मिलेंगी:
एयर-रेड चेतावनी: युद्ध की स्थिति में हवाई हमले की सूचना देने के लिए एयर-रेड सायरन की आवाज़ सुनाई जाएगी।
ब्लैकआउट अभ्यास: महत्वपूर्ण इलाकों में कुछ समय के लिए बिजली बंद कर दी जाएगी ताकि सैटेलाइट छिपने (stealth) प्रक्रियाओं का अनुकरण किया जा सके।
एवैक्यूएशन अभ्यास: उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में लोगों को जल्दी से सुरक्षित स्थानों की ओर निकालने का अभ्यास होगा।
आपातकालीन संचार और बचाव प्रशिक्षण: सेना/वायुसेना के साथ रेडियो/फोन्स लिंक की जाँच होगी, और नागरिकों को प्राथमिक चिकित्सा, अग्निशमन आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर की छुपाछुपी: पावर प्लांट, रिफाइनरी जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर को जल्दी से छिपाने (कैमुफ्लाज) की तैयारी की जाएगी।
इन अभ्यासों के दौरान नागरिकों को अलर्ट, घोषणाएँ और मार्गदर्शन सुनने को मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए, ड्रिल के समय शहरों की लाइट्स कुछ समय के लिए बंद हो सकती हैं, एयर-रेड सायरन बजेगा और लोग पास के आश्रयस्थलों (बंकर) की तरफ जाने का अभ्यास करेंगे। साथ ही कुछ जगहों पर पुलिस या अर्धसैनिक बल युद्धाभ्यास करते दिखेंगे। सरकारी घोषणा के मुताबिक नागरिकों को बिजली बंद होने, मोबाइल नेटवर्क धीमा या बंद रहने और सड़कों पर ट्रैफिक डायवर्ज़न होने जैसी असुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि इसमें कोई वास्तविक खतरा नहीं है, लेकिन जनता को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। स्कूल-कॉलेजों में भी सुरक्षित रहने, आश्रय ढूँढने, प्राथमिक चिकित्सा करने आदि पर शिक्षण सत्र रखे जाएंगे।
244 नागरिक रक्षा जिले
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इस मॉक ड्रिल (Mock Drill) के लिए कुल 244 नागरिक रक्षा जिले चुने गए हैं। यह सूची संवेदनशील सुरक्षा प्रतिष्ठानों वाले जिलों की है। कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कुल मिलाकर यह अभ्यास लगभग 300 नागरिक रक्षा जिलों में फैलाया गया है। इन जिलों में आमतौर पर सीमा क्षेत्र, बड़े शहर और महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र शामिल हैं। हर जिले में जिला नियंत्रण कक्ष से लेकर गांव स्तर तक सिविल डिफेंस अधिकारी, होम गार्ड्स और स्थानीय प्रशासन साथ मिलकर कार्य करेंगे।
जनता की आशंकाएँ और भ्रम
जैसे-जैसे ड्रिल की जानकारी फैली, सोशल मीडिया पर अफवाहें और भ्रम की स्थिति भी देखने को मिली। कई लोगों को शंका हुई कि क्या यह कोई वास्तविक घोषणा है या सुरक्षा खतरा। गृह मंत्रालय और राज्य सरकारों ने बार-बार स्पष्ट किया कि यह केवल एक नियोजित अभ्यास है, वास्तविक हमले या युद्ध की शुरुआत नहीं। उदाहरण के लिए, मुंबई विश्वविद्यालय ने छात्रों को आश्वस्त किया कि 7 मई को होने वाली परीक्षाएं मॉक ड्रिल से अप्रभावित रहेंगी। विश्वविद्यालय ने एक परिपत्र जारी कर कहा कि परीक्षा समय सारणी में कोई बदलाव नहीं होगा और सभी को भ्रम से बचने की सलाह दी। इसी तरह अन्य बोर्ड और यूनिवर्सिटियों ने भी सुनिश्चित किया है कि मॉक ड्रिल के चलते किसी को कोई नुकसान या व्यवधान नहीं होगा। सरकारी संदेश यह है कि जनता को अफवाहों से बचना चाहिए और केवल आधिकारिक चैनलों से ही अपडेट लेना चाहिए। गृह मंत्रालय ने कहा है कि इस ड्रिल को लेकर जनता डरने की बजाय सही तैयारी करे, ताकि असली आपदा की स्थिति में सभी सुरक्षित रहें।
भारत-पाक युद्ध की तैयारियाँ
आज के समय में भारत-पाक सीमा पर चल रही तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए ये मॉक ड्रिल (Mock Drill) और भी महत्वपूर्ण हो गई है। मीडिया में भारत-पाक युद्ध (India-Pakistan war) से जुड़ी खबरें सामने आ रही हैं, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल कोई वास्तविक संघर्ष नहीं है। सिविल डिफेंस अधिकारियों ने भी कहा है कि जैसे ही सैनिक सीमा पर युद्ध की स्थितियों के लिए तैयार हुए, वैसे ही नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक भी सक्रिय हो गए हैं। सरकार ने साफ शब्दों में कहा है कि यह ड्रिल युद्ध की शुरुआत नहीं बल्कि इसकी तैयारी है। वर्तमान में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर वार्ता भी हो रही है, लेकिन तैयारियों के तहत अधिकारियों ने नागरिकों को युद्धकालीन स्थितियों से निपटने के उपाय सिखाने का यह अभ्यास अनिवार्य समझा है। इसलिए ड्रिल को युद्ध अभ्यास (war drill) के रूप में देखा जा रहा है, जिसका उद्देश्य तनावपूर्ण समय में रहने वाले नागरिकों को सुरक्षित रखना है।
सुरक्षा निर्देश और तैयारी
ड्रिल (Mock Drill) से निपटने के लिए अधिकारियों ने जनता को कुछ जरूरी सलाह दी है:
शांतिपूर्वक रहें: पैनिक होने की बजाय घर और परिवार को समझाएं कि यह केवल अभ्यास है। अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल सरकारी एडवाइजरी चैनलों, पुलिस या प्रशासन की सूचना पर भरोसा रखें।
आपात किट तैयार रखें: पानी, प्राथमिक दवाइयां, टॉर्च/मोबाइल चार्जर, पावर बैंक इत्यादि सामान पहले से एक बैग में रखें। अचानक बिजली या मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलने पर ये जरुरी होंगे।
अधिकारियों के निर्देशों का पालन करें: यदि किसी समय पर सायरन बजता है या कोई आपात सूचना आती है तो धैर्य से निकटतम सुरक्षित स्थान (बंकर/आश्रय) की तरफ जाएँ। भीड़ या अफरा-तफरी से बचें और पुलिस/सेना की हिदायतों का अनुसरण करें।
सूचना के स्रोत पर भरोसा करें: सोशल मीडिया पर अनुमान या अफवाहें फैलाने से बचें। भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट, न्यूज़ चैनल या राज्य/जिला प्रशासन के पोर्टल से ही नवीनतम जानकारी प्राप्त करें।
तत्परता बढ़ाएँ: विशेषज्ञों की सलाह है कि वॉचटावर, सायरन और आश्रय जैसे उपकरणों की जानकारी रखें। यदि आपने पहले कभी नागरिक सुरक्षा प्रशिक्षण नहीं लिया, तो basic first aid और emergency sheltering की बुनियादी जानकारी प्राप्त कर लें।
अंत में सरकार का कहना है कि वर्तमान में हर देशवासी को घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क और तैयार जरूर रहना चाहिए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस ड्रिल का सार यह बताया कि “प्रशिक्षण देने का अर्थ है आपदा में जान बचाना”। अतः नागरिकों से अनुरोध है कि वे संयम से रहें, आवश्यक सावधानी बरतें और 7 मई के इस अभ्यास को सफलता पूर्वक पूरा करने में सहयोग दें।
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