आज के डिजिटल युग में, जहाँ हर चमकता चेहरा लाखों दिलों पर राज करता है, वहीं कभी-कभी इन चमकती आभाओं के पीछे गहरे और चौंकाने वाले रहस्य भी छिपे होते हैं। हरियाणा के हिसार की रहने वाली ज्योति मल्होत्रा (Jyoti Malhotra), जो ‘Travel with JO’ नाम के अपने यूट्यूब चैनल पर यात्रा और लाइफस्टाइल से जुड़े वीडियो बनाकर लाखों लोगों की पसंदीदा बनी थीं, अचानक देश की सबसे बड़ी जासूसी कहानियों में से एक का केंद्र बन गई हैं।
उसकी गिरफ्तारी ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है और यह सवाल खड़ा कर दिया है कि एक लोकप्रिय सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कैसे जासूसी के गंभीर आरोपों में घिर सकती है।
Jyoti Malhotra, 33 साल की एक ट्रैवल व्लॉगर, जिसके यूट्यूब पर लगभग 3.87 लाख से 4 लाख सब्सक्राइबर थे और इंस्टाग्राम पर भी 1.32 लाख से 1.34 लाख फॉलोअर्स थे, खुद को ‘Nomadic Leo Girl’, ‘Wanderer Haryanvi + Punjabi’ और ‘पुराने ख्यालों की मॉडर्न लड़की’ बताती थी। उसकी वीडियो में अक्सर भारत और विदेश की खूबसूरत जगहों की यात्राएं दिखाई जाती थी, जिससे वह एक आम और भरोसेमंद सोशल मीडिया व्यक्तित्व लगती थी।
लेकिन, उसके इस सार्वजनिक चेहरे के पीछे एक ऐसा गुप्त जीवन छिपा था, जिसके खुलासे ने हर किसी को चौंका दिया है। हाल ही में, उसे पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई और उसका नाम भारत के सबसे चर्चित विषयों में से एक बन गया।
Jyoti Malhotra की गिरफ्तारी केवल एक व्यक्ति का मामला नहीं है, बल्कि यह एक बड़े जासूसी नेटवर्क का हिस्सा है जिसमें पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से 12 अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है। यह पूरा मामला ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ और ‘ऑपरेशन मीर जाफर’ जैसी खुफिया कार्रवाइयों से जुड़ा हुआ है, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक नई चुनौती की ओर इशारा करता है।
यह घटनाक्रम इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे एक आम दिखने वाला चेहरा भी असाधारण खतरे का मुखौटा हो सकता है। दुश्मन एजेंसियां अब पारंपरिक ‘हनीट्रैप’ के तरीकों से आगे बढ़कर, सोशल मीडिया पर आम दिखने वाले प्रभावशाली लोगों का इस्तेमाल कर रही हैं।
यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक नया और अधिक खतरनाक खतरा है, क्योंकि ऐसे लोग आसानी से संदेह से बच सकते हैं और संवेदनशील जानकारी तक पहुंच बना सकते हैं या गलत नैरेटिव फैला सकते हैं। यह मामला देश के युवाओं और सोशल मीडिया यूजर्स के लिए एक बड़ी चेतावनी है कि वे ऑनलाइन मिलने वाले हर व्यक्ति पर आंख मूंदकर भरोसा न करें।
Jyoti Malhotra के सफर की शुरुआत: ट्रैवल व्लॉगर से जासूसी के जाल तक
ज्योति मल्होत्रा का पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव्स (PIOs) से संपर्क 2023 में शुरू हुआ, जब वह दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमीशन में वीजा के लिए गई थी। वहीं उसकी मुलाकात एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश से हुई, जो पाकिस्तान हाई कमीशन में एक अधिकारी था। दानिश को बाद में 13 मई, 2025 को भारत से जासूसी के आरोप में निष्कासित कर दिया गया था।
शुरुआती पूछताछ में, ज्योति ने दानिश से किसी भी व्यक्तिगत संबंध से इनकार किया और अपने मोबाइल फोन से दो चैट भी डिलीट कर दी थीं, जिससे जांचकर्ताओं को संदेह हुआ कि उनमें गोपनीय जानकारी या निर्देश हो सकते हैं। दानिश ने कथित तौर पर ज्योति को पाकिस्तान में अन्य खुफिया ऑपरेटिव्स जैसे शाकिर (जिसे ज्योति ने ‘जट रंधावा’ के नाम से सेव किया था) और राणा शाहबाज से मिलवाया।
ज्योति (Jyoti Malhotra) ने पाकिस्तान की तीन बार यात्रा की: अप्रैल 2023 में बैसाखी उत्सव के बहाने , फिर 2024 में और तीसरी बार मार्च 2025 में पहलगाम हमले से ठीक पहले। हरकीरत सिंह, जो हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (SGMC) के कर्मचारी थे, ने कथित तौर पर ज्योति को दो बार वीजा दिलाने में मदद की और उन्हें सिखों के एक ‘जत्थे’ (तीर्थयात्रियों का समूह) के साथ पाकिस्तान भेजा। हरकीरत का फोन भी जब्त कर लिया गया है और उसकी भूमिका की जांच जारी है।
पुलिस का कहना है कि ज्योति के पास पाकिस्तान, चीन और कुछ अन्य देशों की यात्राओं के लिए पर्याप्त आय के ज्ञात स्रोत नहीं थे, जिससे बाहरी फंडिंग का संदेह पैदा होता है। जांचकर्ता उनकी चीन यात्रा (2024 में) और बांग्लादेश यात्रा की भी जांच कर रहे हैं, खासकर यह पता लगाने के लिए कि क्या ये यात्राएं पाकिस्तान में रहते हुए ही तय की गई थीं। एक वीडियो में, वह दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमीशन में चीनी अधिकारियों से वीजा मांगती हुई भी दिखी है, जिससे उसके यात्रा पैटर्न पर और संदेह गहराता है।
यह पूरा घटनाक्रम दर्शाता है कि ज्योति मल्होत्रा ने अपनी यात्राओं को ‘ट्रैवल व्लॉगिंग’ के रूप में दिखाया, लेकिन उसकी आय के स्रोत उनकी विदेश यात्राओं को सही नहीं ठहराते थे। दानिश जैसे निष्कासित पाकिस्तानी अधिकारी से मुलाकात और हरकीरत सिंह की वीजा सहायता से यह बात स्पष्ट होती है कि उसकी यात्राएं सिर्फ पर्यटन नहीं थीं, बल्कि एक सुनियोजित गतिविधि का हिस्सा थी।
‘ट्रैवल व्लॉगिंग’ का बहाना ISI के लिए एक नया ‘मोडस ऑपरेंडी’ है, जिससे जासूस संवेदनशील स्थानों तक पहुंच बना सकते हैं और बिना शक के जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं। यह दिखाता है कि कैसे दुश्मन एजेंसियां अब ‘सॉफ्ट टारगेट’ जैसे सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स का इस्तेमाल कर रही हैं, जो अपनी लोकप्रियता के कारण आसानी से संवेदनशील जानकारी तक पहुंच सकते हैं और अपनी ऑनलाइन उपस्थिति का उपयोग एक सुरक्षित ‘कवर’ के रूप में कर सकते हैं।
यह सिर्फ एक व्यक्ति की जासूसी नहीं है, बल्कि एक बड़े नेटवर्क का संकेत है जहां ‘यात्रा’ एक ‘कवर’ के रूप में इस्तेमाल की जा रही थी ताकि खुफिया जानकारी इकट्ठा की जा सके और ISI के लिए नए ‘एसेट’ विकसित किए जा सकें।
ISI का नया हथियार: सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर
ISI ने पारंपरिक ‘हनीट्रैप’ के तरीकों से हटकर, जो पहले भारतीय अधिकारियों को फंसाने के लिए इस्तेमाल होते थे, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को अपना नया हथियार बनाया है। ज्योति मल्होत्रा का मामला इस नई रणनीति का एक प्रमुख उदाहरण है। उसका यूट्यूब चैनल और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उसके जासूसी के लिए एक ‘कवर’ थे।
वह एन्क्रिप्टेड ऐप्स जैसे स्नैपचैट, टेलीग्राम और व्हाट्सएप का इस्तेमाल करती थी ताकि पाकिस्तानी एजेंट्स के साथ अपनी बातचीत को गुप्त रख सके। जांच से यह भी पता चला है कि वह पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा तक संपर्क स्थापित करने में कामयाब रही थी, जो आतंकवादी गतिविधियों के लिए जाना जाता है और जहां नागरिकों की पहुंच प्रतिबंधित है।
हिसार के एसपी शशांक कुमार सावन ने बताया कि पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव्स (PIOs) ज्योति को एक ‘एसेट’ के रूप में विकसित कर रहे थे। उनका उद्देश्य केवल जानकारी निकालना नहीं था, बल्कि ‘प्रो-पाकिस्तान नैरेटिव’ को बढ़ावा देना और भारत में गलत सूचना फैलाना भी था। उदाहरण के लिए, पहलगाम आतंकी हमले के बाद, ज्योति ने एक वीडियो जारी किया था जिसमें उन्होंने दावा किया था कि यह किसी भी पाकिस्तानी की गलती नहीं थी।
पुलिस अब इस एंगल की जांच कर रही है कि क्या उसे ऐसे वीडियो बनाने के लिए निर्देशित किया गया था। ISI का लक्ष्य ऐसे प्रभावशाली लोगों का उपयोग करके भारत में अपना प्रचार फैलाना है, क्योंकि उनकी पहुंच बहुत बड़ी होती है और वे आसानी से नए जासूसों की भर्ती भी कर सकते हैं।
यह मामला इस बात को उजागर करता है कि ISI अब पारंपरिक जासूसी से हटकर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स का उपयोग ‘नैरेटिव बिल्डिंग’ और ‘प्रो-पाकिस्तान’ प्रचार फैलाने के लिए कर रही है। ज्योति मल्होत्रा ने पहलगाम हमले के बाद एक ‘प्रो-पाकिस्तान’ वीडियो जारी किया, जो इस नई रणनीति का सीधा प्रमाण है। यह सिर्फ जानकारी चोरी करने का मामला नहीं है, बल्कि भारत के भीतर ही सार्वजनिक राय को प्रभावित करने और भ्रम फैलाने का एक प्रयास है, जिसे ‘आधुनिक युद्ध’ या ‘नैरेटिव वॉरफेयर’ कहा जा रहा है।
यह दिखाता है कि कैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक नया मोर्चा बन गया है, जहां सूचना और प्रभाव को हथियार बनाया जा रहा है। यह सरकार और नागरिकों दोनों के लिए ऑनलाइन सामग्री की सत्यता और इरादों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर देता है। ज्योति मल्होत्रा का मामला सिर्फ एक जासूस की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि ISI की बदलती रणनीति का एक खतरनाक संकेत है, जहां वे ‘डिजिटल युद्ध’ के जरिए भारत को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
पर्दाफाश: पुलिस और NIA की बड़ी कार्रवाई
केंद्रीय एजेंसियों और सैन्य खुफिया अधिकारियों को ज्योति मल्होत्रा की संदिग्ध गतिविधियों के बारे में जानकारी मिली। जांचकर्ताओं को पहली बार तब अलर्ट किया गया जब मल्होत्रा दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमीशन में एक इफ्तार कार्यक्रम में शामिल हुई, जहां उसे दानिश (एक निष्कासित पाकिस्तानी राजनयिक) के साथ करीब से बात करते हुए देखा गया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘ऑपरेशन मीर जाफर’ जैसी बड़ी खुफिया कार्रवाइयों के तहत, भारत की शीर्ष खुफिया एजेंसियों ने देश के भीतर संदिग्ध जासूसों पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की। इस ऑपरेशन में उन व्यक्तियों पर ध्यान केंद्रित किया गया जिन्होंने सीमा पार के लोगों के साथ संबंध स्थापित किए और नियमित संपर्क बनाए रखा।
ज्योति मल्होत्रा को 16 मई, 2025 को हिसार के न्यू अग्रसेन एक्सटेंशन से गिरफ्तार किया गया। उसे आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (Official Secrets Act) की संबंधित धाराओं और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत बुक किया गया है। पुलिस ने उसके मोबाइल फोन और लैपटॉप से “संदिग्ध” सामग्री मिलने का दावा किया है। उसके डिजिटल उपकरणों को फोरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा गया है।
शुरुआती पूछताछ में, ज्योति ने कथित तौर पर कोई पछतावा नहीं दिखाया और दावा किया कि वह केवल अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग कर रही थी। उसने दानिश से व्यक्तिगत संबंधों से भी इनकार किया और चैट डिलीट कर दी थी। जांच से पता चला है कि वह पाकिस्तानी एजेंट्स के साथ लगातार संपर्क में थी और व्हाट्सएप, टेलीग्राम, स्नैपचैट जैसे एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म का उपयोग करती थी।
ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ और ‘ऑपरेशन मीर जाफर’ जैसी बड़ी खुफिया कार्रवाइयों के बाद हुई है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने वाला एक सैन्य अभियान था। इसके तुरंत बाद ‘ऑपरेशन मीर जाफर’ शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य देश के भीतर जासूसी नेटवर्क को ध्वस्त करना था। यह दर्शाता है कि ज्योति मल्होत्रा का मामला सिर्फ एक व्यक्तिगत जासूसी नहीं है, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे बड़े खुफिया युद्ध का एक हिस्सा है।
उसकी गिरफ्तारी एक व्यापक, समन्वित खुफिया ऑपरेशन का परिणाम है, न कि केवल एक यादृच्छिक खोज का। यह भारत की खुफिया क्षमताओं की बढ़ती दक्षता और देश के भीतर जासूसी नेटवर्क को ट्रैक करने और बेनकाब करने की उसकी क्षमता को उजागर करता है, खासकर जब राष्ट्रीय सुरक्षा दांव पर हो। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भारत की गंभीर प्रतिबद्धता और आधुनिक जासूसी के खतरों से निपटने के लिए उसकी सक्रिय रणनीति को दर्शाता है।
एक-एक कड़ी: Jyoti Malhotra केस की पूरी टाइमलाइन
ज्योति मल्होत्रा मामले की पूरी कहानी को समझने के लिए, घटनाओं के कालक्रम को जानना बेहद जरूरी है। यह टाइमलाइन बताती है कि कैसे एक आम यूट्यूबर धीरे-धीरे जासूसी के एक बड़े जाल का हिस्सा बनती चली गई।
2018: ज्योति मल्होत्रा ने अपना पासपोर्ट बनवाया, जो उसकी अंतरराष्ट्रीय यात्राओं की शुरुआत का पहला कदम था।
2023: ज्योति ने दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमीशन का दौरा किया और एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश से संपर्क स्थापित किया, जो उसका प्राथमिक संपर्क बन गया। उसने अप्रैल 2023 में बैसाखी उत्सव के बहाने पहली बार पाकिस्तान की यात्रा की। वह 10 दिन के उत्सव के बाद 20 दिनों से अधिक समय तक पाकिस्तान में रही, जो एक सामान्य पर्यटक यात्रा से अधिक समय था।
नवंबर 2023: देवेंद्र सिंह, एक अन्य आरोपी जो पटियाला में एमए का छात्र है, ने पाकिस्तान की यात्रा की और कथित तौर पर चार पाकिस्तानी ऑपरेटिव्स के संपर्क में था, जिससे इस नेटवर्क के विस्तार का पता चलता है।
2024: ज्योति ने पाकिस्तान की दूसरी यात्रा की। इस यात्रा के एक महीने बाद, उसने चीन की यात्रा की, जिसकी अब जांच की जा रही है कि क्या यह यात्रा पाकिस्तान में रहते हुए तय की गई थी। चीन में उनके ‘अजीब’ व्यवहार का एक पुराना वीडियो भी उसकी गिरफ्तारी के बाद फिर से वायरल हुआ, जिससे उसकी सार्वजनिक छवि पर सवाल उठे।
सितंबर 2024: ज्योति मल्होत्रा ने पुरी में जगन्नाथ मंदिर का दौरा किया। इसके तुरंत बाद, ओडिशा की एक यूट्यूबर ने करतारपुर कॉरिडोर की यात्रा की, जो अब जांच के दायरे में है, जिससे यह नेटवर्क अन्य राज्यों में भी फैला हुआ प्रतीत होता है।
मार्च 2025: ज्योति ने पाकिस्तान की तीसरी यात्रा की, पहलगाम आतंकी हमले से ठीक पहले।
अप्रैल 22, 2025: पहलगाम आतंकी हमला हुआ, जिसमें 25 पर्यटक और एक स्थानीय नागरिक मारे गए।
मई 4, 2025: पंजाब पुलिस ने फलाशेर मसीह और सूरज मसीह को अमृतसर से गिरफ्तार किया, सेना छावनी क्षेत्रों और हवाई अड्डों की संवेदनशील जानकारी लीक करने के आरोप में।
मई 6-10, 2025: भारत ने पाकिस्तान और PoJK में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ चलाया।
मई 11, 2025: मलिरकोटला से गुजाला और यामीन मोहम्मद को गिरफ्तार किया गया, जिन पर गोपनीय सैन्य विवरण साझा करने के लिए UPI हस्तांतरण के माध्यम से भुगतान प्राप्त करने का आरोप है।
मई 13, 2025: भारत ने एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश को जासूसी के आरोप में निष्कासित कर दिया। इसी दिन, सुखप्रीत सिंह और करणबीर सिंह को गुरदासपुर से हिरासत में लिया गया, जिन पर ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ के दौरान सैन्य गतिविधियों की जानकारी लीक करने का आरोप है।
मई 15, 2025: हरियाणा पुलिस ने पानीपत से नौमान इलाही को गिरफ्तार किया, जिस पर पाकिस्तान में व्यक्तियों को संवेदनशील जानकारी देने का आरोप है।
मई 16, 2025: ज्योति मल्होत्रा को हिसार से गिरफ्तार किया गया।
मई 18, 2025: हिसार एसपी शशांक कुमार सावन ने बताया कि PIOs ज्योति को एक ‘एसेट’ के रूप में विकसित कर रहे थे।
मई 19, 2025: ज्योति मल्होत्रा ने पूछताछ के दौरान कोई पछतावा नहीं दिखाया। उसके पिता ने पहले कहा था कि वह वीडियो बनाने के लिए पाकिस्तान गई थी, लेकिन बाद में बयान बदल दिया।
मई 20, 2025: NIA, IB और सैन्य खुफिया अधिकारी ज्योति मल्होत्रा से पूछताछ कर रहे हैं। उसके चीन और बांग्लादेश दौरे की जांच की जा रही है। उसके क्लाउड स्टोरेज से BSF सैनिकों की गतिविधियों और रडार स्थानों के वीडियो मिले हैं।
यह टाइमलाइन सिर्फ तथ्यों की सूची नहीं है, बल्कि यह एक सुनियोजित और दीर्घकालिक जासूसी अभियान का खुलासा करती है, जिसमें ज्योति मल्होत्रा एक महत्वपूर्ण मोहरा थी। यह दर्शाता है कि ISI ने उसे तुरंत भर्ती नहीं किया, बल्कि समय के साथ ‘ग्रूम’ किया। यह टाइमलाइन हमें यह समझने में मदद करती है कि कैसे एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर को धीरे-धीरे एक जासूस के रूप में विकसित किया गया और कैसे उसकी यात्राओं का उपयोग खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और गलत नैरेटिव फैलाने के लिए किया गया।
यह भविष्य में ऐसे पैटर्नों को पहचानने में एजेंसियों की मदद कर सकता है। ज्योति मल्होत्रा का मामला एक आकस्मिक घटना नहीं था, बल्कि एक सावधानीपूर्वक नियोजित और समय-समय पर विकसित होने वाले जासूसी नेटवर्क का हिस्सा था, जिसमें विभिन्न देशों की यात्राएं और प्रमुख घटनाओं से पहले की गतिविधियां शामिल थीं।
ज्योति की पाकिस्तान यात्राएं (2023, 2024, मार्च 2025) विशेष रूप से जांच के दायरे में हैं। उसकी कश्मीर यात्रा (पहलगाम, गुलमर्ग, डल झील, लद्दाख, पैंगोंग झील) के दौरान बनाए गए सभी वीडियो की भी गहन जांच की जा रही है ताकि पहलगाम आतंकी हमले से किसी भी संबंध का पता लगाया जा सके। संवेदनशील क्षेत्रों जैसे पठानकोट, नाथू ला पास और अरुणाचल प्रदेश के करीब के क्षेत्रों के पास उसके वीडियो ने भी खुफिया एजेंसियों का ध्यान खींचा है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद, ज्योति ने एक वीडियो जारी किया था जिसमें उसने दावा किया था कि यह किसी भी पाकिस्तानी की गलती नहीं थी। सूत्रों ने खुलासा किया कि उसे ‘प्रो-पाकिस्तान नैरेटिव’ को बढ़ावा देने के लिए कहा गया था, जिसे ‘युद्ध का एक नया रूप’ माना जाता है।
डिजिटल सबूत और Jyoti Malhotra के पिता के बदलते बयान
जांचकर्ताओं को ज्योति (Jyoti Malhotra) के खिलाफ नए डिजिटल सबूत मिले हैं। उसने कई डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल किया और पाकिस्तानी एजेंट्स के साथ नियमित संपर्क बनाए रखने के लिए स्नैपचैट, टेलीग्राम और व्हाट्सएप जैसे एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म का उपयोग किया। जांच में यह भी सामने आया कि उसने दानिश के साथ अपनी दो चैट डिलीट कर दी थीं, जिससे अधिकारियों को संदेह हुआ कि उनमें गोपनीय जानकारी या निर्देश हो सकते हैं। उसके मोबाइल फोन को फोरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा गया है, जिससे लगभग 300 GB डेटा बरामद हुआ है जिसकी जांच की जा रही है।
उसके क्लाउड स्टोरेज से BSF सैनिकों की गतिविधियों और रडार स्थानों के वीडियो सहित संवेदनशील सामग्री मिली है। उसकी डायरी प्रविष्टियों में पाकिस्तान में गर्मजोशी से स्वागत, पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों के साथ बातचीत और विभाजन पर उदासीन विचार शामिल हैं, जो उनके कथित संबंधों की गहराई को दर्शाते हैं। उसके वीडियो, विशेष रूप से उच्च-सुरक्षा वाले क्षेत्रों जैसे पठानकोट, लद्दाख, डल झील और नाथू ला पास में फिल्माए गए वीडियो, जांच के दायरे में हैं।
ज्योति (Jyoti Malhotra) के पिता, हरीश मल्होत्रा ने शुरू में कहा था कि उनकी बेटी ने YouTube वीडियो बनाए थे और पाकिस्तान का दौरा किया था। हालांकि, बाद में उन्होंने अपने बयान से पलटते हुए कहा कि उन्हें अपनी बेटी की पाकिस्तान यात्राओं के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि ज्योति उन्हें बताती थी कि वह दिल्ली जा रही है और उसने कभी पाकिस्तान जाने का जिक्र नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अपनी बेटी के YouTube या अन्य सोशल मीडिया खातों के बारे में नहीं पता था। उन्होंने पुलिस द्वारा जब्त किए गए फोन वापस करने की भी मांग की।
यह घटनाक्रम इस बात को उजागर करता है कि ज्योति (Jyoti Malhotra) ने एन्क्रिप्टेड ऐप्स का इस्तेमाल किया और चैट डिलीट की, लेकिन फिर भी डिजिटल सबूत (क्लाउड स्टोरेज, 300 GB डेटा) बरामद हुए। यह दिखाता है कि डिजिटल युग में भी, जासूसों के लिए अपने ‘डिजिटल फुटप्रिंट’ को पूरी तरह से मिटाना कितना मुश्किल है, और फोरेंसिक विश्लेषण कितना महत्वपूर्ण है। पिता के बयानों में विरोधाभास है – पहले पाकिस्तान यात्रा की पुष्टि, फिर अनभिज्ञता का दावा।
यह विरोधाभास या तो पिता की वास्तविक अनभिज्ञता (ज्योति के गुप्त जीवन के कारण) या फिर मामले की गंभीरता को कम करने के प्रयास को दर्शाता है। यह परिवार के लिए भी एक भावनात्मक और कानूनी चुनौती को उजागर करता है। यह दिखाता है कि कैसे जासूसी के मामले न केवल राष्ट्रों को प्रभावित करते हैं बल्कि परिवारों को भी हिला देते हैं, और कैसे डिजिटल साक्ष्य आधुनिक जांच का एक अभिन्न अंग बन गए हैं।
आज क्या चल रहा है? जांच का दायरा और आगे की राह
ज्योति मल्होत्रा (Jyoti Malhotra) पांच दिन की पुलिस हिरासत में है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और हरियाणा पुलिस की एक संयुक्त टीम उससे पूछताछ कर रही है। सूत्रों का कहना है कि वह पूछताछ के दौरान टालमटोल कर रही है और जांच को गुमराह करने की कोशिश भी कर रही हैं। उसकी वित्तीय लेनदेन और यात्रा इतिहास की जांच की जा रही है ताकि उसकी आय के स्रोतों का पता लगाया जा सके, क्योंकि उसकी ज्ञात आय स्रोत उसकी विदेशी यात्राओं को सही नहीं ठहराते। बाहरी फंडिंग का संदेह है। उसके लैपटॉप और मोबाइल फोन का फोरेंसिक विश्लेषण जारी है, और उन लोगों से भी पूछताछ की जाएगी जो उसके संपर्क में थे।
हरियाणा पुलिस का दावा है कि ज्योति मल्होत्रा (Jyoti Malhotra) अकेले काम नहीं कर रही थी। वह अन्य सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के संपर्क में थी, जिनमें से कुछ के पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव्स से भी संबंध हो सकते हैं। जांच का दायरा ओडिशा तक भी फैल गया है, जहां पुरी की एक यूट्यूबर जांच के दायरे में है। ओडिशा पुलिस स्थानीय कंटेंट क्रिएटर्स की राज्यव्यापी जांच शुरू करने की योजना बना रही है, खासकर यूट्यूब पर।
ज्योति मल्होत्रा (Jyoti Malhotra) के अलावा, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से 11 अन्य लोगों को भी जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इनमें छात्र (देवेंद्र सिंह), सुरक्षा गार्ड (नौमान इलाही), ऐप डेवलपर (मोहम्मद मुर्तजा अली), और तस्कर (शाहजाद) जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लोग शामिल हैं। यह दर्शाता है कि ISI का एक बड़ा जासूसी नेटवर्क उत्तर भारत में सक्रिय है।
ज्योति मल्होत्रा (Jyoti Malhotra) के साथ-साथ विभिन्न पृष्ठभूमि के 11 अन्य लोगों की गिरफ्तारी हुई है। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि एक बड़े, विविध जासूसी नेटवर्क का संकेत है। इसमें ‘इन्फ्लुएंसर स्पाई रिंग’ का उभरना ISI की रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव दिखाता है। ISI अब केवल पारंपरिक ‘स्लीपर सेल’ पर निर्भर नहीं है, बल्कि उसने ‘इन्फ्लुएंसर सेल’ विकसित करना शुरू कर दिया है, जो अपने बड़े फॉलोअर्स और ‘कवर’ के कारण अधिक प्रभावी हो सकते हैं।
यह राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक नई चुनौती प्रस्तुत करता है, क्योंकि उन्हें अब न केवल पारंपरिक जासूसी के तरीकों पर ध्यान देना होगा, बल्कि डिजिटल दुनिया में उभरते खतरों और सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर भी नजर रखनी होगी। यह भारत की काउंटर-इंटेलिजेंस रणनीति के लिए एक महत्वपूर्ण विकास है। ज्योति मल्होत्रा (Jyoti Malhotra) का मामला एक बड़े ‘इन्फ्लुएंसर स्पाई रिंग’ के अस्तित्व को उजागर करता है, जो ISI की बदलती रणनीति का हिस्सा है।
यह भारत के लिए एक नई और जटिल चुनौती है, जिसके लिए डिजिटल स्पेस में अधिक सतर्कता और मजबूत काउंटर-इंटेलिजेंस की आवश्यकता है।
एक चेतावनी और देश के लिए सबक
ज्योति मल्होत्रा का मामला भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरे को उजागर करता है। यह दिखाता है कि कैसे दुश्मन एजेंसियां अब नए और अप्रत्याशित तरीकों से देश को निशाना बना रही हैं, जिसमें सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स का उपयोग शामिल है। संवेदनशील जानकारी का लीक होना, जैसे BSF सैनिकों की गतिविधियों और रडार स्थानों के वीडियो, देश की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा पैदा करता है।
‘प्रो-पाकिस्तान नैरेटिव’ को बढ़ावा देने का प्रयास भारत के भीतर सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को कमजोर कर सकता है। यह मामला ‘आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम’ (Official Secrets Act) और ‘भारतीय न्याय संहिता’ (Bharatiya Nyaya Sanhita) जैसे कानूनों की प्रासंगिकता को भी रेखांकित करता है, जिनके तहत जासूसी के लिए गंभीर दंड का प्रावधान है, जिसमें आजीवन कारावास भी शामिल है।
यह मामला सोशल मीडिया यूजर्स, विशेषकर युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है। ऑनलाइन सामग्री की सत्यता की जांच करना और अज्ञात स्रोतों से आने वाले ‘स्पॉन्सर्ड’ या ‘प्रोपेगेंडा’ सामग्री के प्रति सतर्क रहना बेहद महत्वपूर्ण है। सोशल मीडिया पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने और ऑनलाइन अजनबियों के साथ संबंध बनाने में अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि डिजिटल दुनिया में हर चमकती चीज सोना नहीं होती और हमें अपने देश की सुरक्षा के प्रति हमेशा जागरूक रहना चाहिए।
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