भारत में अभी एक खबर तेज़ी से फैल रही है – तुर्की में भूकंप (Turkey Earthquake)! जी हाँ, आपने सही सुना। एक बार फिर धरती कांपी है और इस बार केंद्र था तुर्की। यह खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत और तुर्की के संबंध हमेशा से चर्चा में रहे हैं, खासकर फरवरी 2023 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद भारत ने जिस तरह से ‘ऑपरेशन दोस्त’ चलाकर मदद की थी, वह सभी को याद है। लेकिन हाल के दिनों में कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनकी वजह से भारत में इस खबर पर लोगों की नज़रें टिकी हैं।
Turkey Earthquake Latest News
ताज़ा खबरों के अनुसार, गुरुवार, 15 मई 2025 को तुर्की में एक मध्यम तीव्रता का भूकंप आया। यूरोपियन मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर (EMSC) के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.1 मापी गई। यह भूकंप दोपहर करीब 3 बजकर 46 मिनट (स्थानीय समय) पर आया। भूकंप का केंद्र कोन्या प्रांत के कुलू शहर से 14 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित था। इस झटके को तुर्की की राजधानी अंकारा समेत कई इलाकों में महसूस किया गया।
ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी ‘मेहर’ ने बताया कि भूकंप के झटके पड़ोसी क्षेत्रों में भी महसूस किए गए, लेकिन फिलहाल किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान या किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। तुर्की की आपदा और आपातकालीन प्रबंधन प्राधिकरण (AFAD) ने भी पुष्टि की है कि भूकंप से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है और टीमें स्थिति पर नज़र रख रही हैं।
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भूकंप का केंद्र भले ही कोन्या के कुलू में था, लेकिन इसके झटके राजधानी अंकारा में भी काफी तेज महसूस किए गए। उस समय अंकारा में राष्ट्रपति एर्दोगन यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से मुलाकात कर रहे थे। खबरों के अनुसार, यह भूकंप ऐसे समय में आया जब दोनों नेता महत्वपूर्ण बातचीत में व्यस्त थे। हालांकि, खबरों में यह स्पष्ट नहीं है कि भूकंप का इस मुलाकात पर क्या असर पड़ा, लेकिन इतनी बड़ी घटना के दौरान दो बड़े नेताओं का एक साथ होना निश्चित रूप से ध्यान देने योग्य है।
कुलू, जो कि भूकंप का केंद्र था, कोन्या प्रांत का एक जिला है। इस इलाके में लोगों ने ज़मीन हिलती हुई महसूस की और डर के मारे अपने घरों और इमारतों से बाहर निकल आए। गनीमत रही कि यहाँ भी किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं आई। लोगों में दहशत का माहौल ज़रूर था, क्योंकि भूकंप के झटके अचानक महसूस हुए थे।
यह दिलचस्प है कि जिस समय तुर्की में भूकंप आया, उसी दौरान राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन अंकारा में यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ महत्वपूर्ण बातचीत कर रहे थे। यह मुलाकात रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे तनाव को कम करने के प्रयासों के तहत हो रही थी। भूकंप के बाद ज़ेलेंस्की ने अल्बानिया के लिए रवाना हो गए और इस्तांबुल में एक प्रतिनिधिमंडल भेजा। इस घटना ने निश्चित रूप से भू-राजनीतिक माहौल में एक अप्रत्याशित मोड़ ला दिया, क्योंकि दो ऐसे देशों के नेता जो एक जटिल संघर्ष में शामिल हैं, एक प्राकृतिक आपदा के दौरान एक साथ थे।
Turkey Earthquake History
अगर हम तुर्की के भूकंप के इतिहास पर नज़र डालें, तो यह कोई नई बात नहीं है। तुर्की एक ऐसे क्षेत्र में स्थित है जो भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जाता है। फरवरी 2023 में तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप को कौन भूल सकता है? उस समय 7.8 और 7.5 की तीव्रता वाले दो बड़े भूकंपों ने भारी तबाही मचाई थी, जिसमें तुर्की में लगभग 59,000 और सीरिया में 8,000 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई थी।
उस त्रासदी की यादें अभी भी लोगों के दिलों में ताज़ा हैं। इस साल अप्रैल में भी इस्तांबुल के पास 6.2 तीव्रता का एक शक्तिशाली भूकंप आया था, जिसने लोगों को दहशत में डाल दिया था। हालांकि, उस भूकंप में जान-माल का कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ था, लेकिन इसने एक बार फिर बड़े भूकंप की आशंकाओं को बढ़ा दिया था।
तारीख (Date) | तीव्रता (Magnitude) | स्थान (Location) | प्रभाव (Impact) | Snippet IDs |
---|---|---|---|---|
फरवरी 2023 (February 2023) | 7.8 और 7.5 | दक्षिणी और पूर्वी तुर्की (Southern and Eastern Turkey) | भारी तबाही, लगभग 67,000 मौतें (Massive devastation, approximately 67,000 deaths) | [1, 2, 3, 4, 5] |
अप्रैल 2025 (April 2025) | 6.2 | इस्तांबुल के पास (Near Istanbul) | दहशत, कुछ मामूली चोटें (Panic, some minor injuries) | [6, 7, 8] |
मई 2025 (May 2025) | 5.1 | कुलू, कोन्या (Kulu, Konya) | झटके महसूस हुए, कोई तत्काल नुकसान नहीं (Tremors felt, no immediate damage) | [1, 2, 3, 9, 10] |
भूवैज्ञानिकों के अनुसार, तुर्की दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंप क्षेत्रों में से एक है। इसकी वजह यह है कि यह अनातोलियन प्लेट पर स्थित है, जो अरेबियन और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के बीच में फंसी हुई है। ये प्लेटें लगातार एक-दूसरे से टकराती रहती हैं और दबाव बनाती हैं। जब यह दबाव अचानक रिलीज़ होता है, तो भूकंप आता है।
तुर्की में दो प्रमुख फॉल्ट लाइनें हैं – नॉर्थ अनातोलियन फॉल्ट और ईस्ट अनातोलियन फॉल्ट – जो इस क्षेत्र में भूकंपों का मुख्य कारण हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की में 9.0 तक की तीव्रता वाले भूकंप आ सकते हैं। यह भूवैज्ञानिक स्थिति तुर्की को बार-बार भूकंपों का सामना करने के लिए संवेदनशील बनाती है।
Turkey Earthquake & India
तुर्की में आए इस ताज़ा भूकंप पर भारत में भी लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। खासकर हाल के दिनों में भारत और तुर्की के बीच कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनकी वजह से सोशल मीडिया पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। एक तरफ जहाँ कुछ लोग तुर्की में आए भूकंप पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं और पीड़ितों के प्रति संवेदनाएं जता रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग भारत और तुर्की के हालिया राजनीतिक घटनाक्रमों का ज़िक्र कर रहे हैं।
हाल ही में, ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ के दौरान तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने की खबरों के बाद भारत में तुर्की के उत्पादों और पर्यटन के बहिष्कार की मांग उठी थी। कई भारतीय हस्तियों और आम नागरिकों ने सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey जैसे हैशटैग का इस्तेमाल किया और तुर्की की यात्राएं रद्द करने की अपील की। यहां तक कि कुछ भारतीय ट्रैवल कंपनियों ने भी तुर्की और अज़रबैजान के लिए अपने ट्रैवल पैकेज को अस्थायी रूप से रोक दिया है।
ऐसे में, तुर्की में आए इस भूकंप पर भारतीय सोशल मीडिया की प्रतिक्रियाएं काफ़ी बंटी हुई नज़र आ रही हैं। कुछ लोगों ने 2023 में भारत द्वारा दी गई मदद (‘ऑपरेशन दोस्त’) को याद किया और इस मुश्किल समय में तुर्की के साथ खड़े होने की बात कही। वहीं, कुछ अन्य लोगों ने हालिया राजनीतिक तनावों का हवाला देते हुए सतर्क प्रतिक्रिया दी।
भूकंप विशेषज्ञों का कहना है कि तुर्की भूकंप के लिहाज से एक सक्रिय क्षेत्र है और यहाँ भविष्य में भी भूकंप आने की संभावना बनी रहती है। खासकर इस्तांबुल जैसे बड़े शहरों में बड़े भूकंप का खतरा हमेशा मंडराता रहता है। अप्रैल 2025 में इस्तांबुल के पास आए 6.2 तीव्रता के भूकंप के बाद विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि यह कोई ‘बड़ा भूकंप’ नहीं था और भविष्य में इससे भी शक्तिशाली भूकंप आ सकता है।
जर्मनी के जीएफजेड सीस्मोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि यह क्षेत्र पिछले 25 वर्षों में सबसे गंभीर भूकंप था और इससे भविष्य में और बड़े भूकंप आने की संभावना बढ़ सकती है। कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि छोटे-छोटे भूकंप बड़े भूकंपों के आने का संकेत हो सकते हैं, इसलिए इस क्षेत्र में लगातार निगरानी रखना ज़रूरी है।
कुल मिलाकर, 15 मई 2025 को तुर्की में आया 5.1 तीव्रता का भूकंप एक और याद दिलाता है कि यह क्षेत्र भूकंप के प्रति कितना संवेदनशील है। गनीमत यह रही कि इस बार किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन फरवरी 2023 की त्रासदी और अप्रैल 2025 के झटकों के बाद लोगों में डर का माहौल ज़रूर है। भारत में इस भूकंप की खबर को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं, जिसमें संवेदना और सतर्कता दोनों शामिल हैं।
भूवैज्ञानिकों की चेतावनी और क्षेत्र की सक्रियता को देखते हुए, तुर्की में भूकंप का खतरा हमेशा बना रहेगा। ऐसे में, न केवल तुर्की को बल्कि इस क्षेत्र के सभी देशों को भूकंप से बचाव और तैयारी के लिए लगातार काम करते रहना होगा।