भारत में ड्रोन कॉरिडोर (Drone Corridors) और ड्रोन डिलीवरी सेवाएँ तेज़ी से विकसित हो रही हैं, हालाँकि 2024-25 तक इनका बुनियादी ढाँचा शुरुआती चरण में है। सरकार ने हाल के वर्षों में ड्रोन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नीति सुधार किए हैं और निजी कंपनियों ने सफल ट्रायल संचालित किए हैं। नीचे हम वर्तमान स्थिति, नीतिगत बदलाव, UTM प्रणालियाँ, प्रमुख राज्य/शहर प्रयोग, निजी पहल, तकनीकी योग्यता, और अनूठे उपयोग के बारे में नवीनतम तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं।
ड्रोन कॉरिडोर (Drone Corridors) का वर्तमान स्टेटस (2024–25) 🛰️
सरकार द्वारा परिभाषित ड्रोन कॉरिडोर (यानी केवल ड्रोन के लिए आरक्षित हवाई मार्ग) का विकास अभी आरंभिक अवस्था में है। अगस्त 2023 में संसद में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि फिलहाल विशेष कार्गो ड्रोन कॉरिडोर (Drone Corridors) स्थापित करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इसका अर्थ है कि अब तक केंद्र सरकार ने औपचारिक “ड्रोन राजमार्ग” निर्दिष्ट नहीं किए हैं।
फिर भी, कुछ राज्य सरकारें और प्राइवेट संस्थाएँ अपने स्तर पर ड्रोन परीक्षण हेतु सीमित एयर कॉरिडोर चिन्हित कर रही हैं। उदाहरण के लिए, तेलंगाना सरकार ने 2021 में ड्रोन उद्योग में उछाल को देखते हुए राज्य में एक ड्रोन टेस्टिंग कॉरिडोर स्थापित करने की योजना घोषित की थी। इसी दौरान तेलंगाना भारत का पहला राज्य बना जिसने ‘Medicine from the Sky’ प्रोजेक्ट के तहत दूरदराज़ के क्षेत्रों में जीवनरक्षक दवाएँ और टीके ड्रोन से पहुँचाए, यह वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम के सहयोग से शुरू की गई पहल थी।
इसके अतिरिक्त, प्राइवेट कंपनियाँ अपनी सेवाओं के लिए “इनविज़िबल” ड्रोन कॉरिडोर की अवधारणा पर काम कर रही हैं। मसलन, Skye Air कंपनी ने बैंगलुरू और गुरुग्राम में हाइपरलोकल डिलीवरी के लिए “3-D Skye Tunnel” नामक एक वर्चुअल कॉरिडोर निर्धारित किया है जो ज़मीन से 120 मीटर ऊँचाई पर ड्रोन को उड़ाता है। इस तरह के कॉरिडोर सुनिश्चित करते हैं कि ड्रोन निर्धारित हवाई लेन में ही उड़े, जिससे सुरक्षा बनी रहे।
भविष्य में जब ड्रोन ट्रैफ़िक बढ़ेगा, तो नागरिक उड्डयन नियामक द्वारा बड़े स्तर पर ऐसे कॉरिडोर बनाने की उम्मीद है ताकि मानव चालित विमानों और ड्रोन के हवाई रास्ते अलग-अलग रखे जा सकें।
नई ड्रोन नीति और 2025 की योजनाएँ ✈️
भारत सरकार ने अगस्त 2021 से ड्रोन क्षेत्र में अनेक सुधार करते हुए एक अनुकूल नीति वातावरण बनाया है। Drone Rules 2021 को पुराने जटिल नियमों की जगह लाया गया, जिसमें अनुमतियों की संख्या कम की गई और ऑपरेशनल आसानियाँ बढ़ाईं। इसके बाद सरकार ने सितंबर 2021 में ड्रोन उद्योग के लिए उत्पादन-linked incentive (PLI) योजना शुरू की और अक्टूबर 2021 में नेशनल Unmanned Aircraft System Traffic Management Framework (UTM Policy 2.0) जारी किया। जनवरी 2022 में ड्रोन के लिए टाइप सर्टिफिकेशन स्कीम लाई गई और फरवरी 2022 में ड्रोन आयात नीति और Drone (Amendment) Rules, 2022 अधिसूचित किए गए। इन कदमों से सरकार का उद्देश्य 2030 तक भारत को “ड्रोन हब” बनाना है।
सरकार 2025 तक ड्रोन के विभिन्न नागरिक उपयोगों को मुख्यधारा में लाने पर जोर दे रही है। केंद्रीय बजट 2022 में “Drone Shakti” पहल की घोषणा हुई, जिसके तहत ड्रोन स्टार्टअप्स को विभिन्न क्षेत्रों (जैसे कृषि, खनन, निगरानी) में प्रोत्साहित किया जा रहा है। मई 2022 में सरकार ने सभी विदेशी ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध लगाया (ड्रोन कलपुर्जों के आयात की छूट के साथ) ताकि स्वदेशी ड्रोन विनिर्माण को बढ़ावा मिले। सितंबर 2023 में ड्रोन पायलट लाइसेंस नियमों को और सरल किया गया – अब रिमोट पायलट लाइसेंस के लिए पासपोर्ट की अनिवार्यता हटा दी गई है और किसी भी सरकारी आईडी/पते के प्रमाण से आवेदन किया जा सकता है।
इन सुधारों का उद्देश्य ड्रोन ऑपरेशनों को बढ़ावा देना और भारत को 2030 तक ग्लोबल ड्रोन हब बनाना है। सरकारी योजनाओं में 2025 तक विभिन्न मंत्रालयों द्वारा ड्रोन अपनाने (उदा. कृषि में कीटनाशक छिड़काव, स्मार्ट सिटी सर्विलांस, इंफ्रास्ट्रक्चर मॉनिटरिंग) का लक्ष्य भी शामिल है। कुल मिलाकर, 2021 के बाद से भारत की ड्रोन नीति काफी उदार हो चुकी है, जिससे नियामकीय बाधाएँ कम हुई हैं और इनोवेशन के दरवाज़े खुले हैं।
Unmanned Traffic Management (UTM) प्रणाली 🕹️
यूटीएम (Unmanned Traffic Management) भारत में अभी विकासाधीन है। वर्तमान में “Digital Sky Platform (DSP)” एक सिंगल-विंडो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो ड्रोन संचालन के विभिन्न पहलुओं को विनियमित करता है। इसके तहत ड्रोन पंजीकरण (UIN), ड्रोन मॉडल के सर्टिफिकेशन, रिमोट पायलट लाइसेंस जारी करना, इत्यादि सेवाएँ ऑनलाइन उपलब्ध हैं। Digital Sky प्लेटफ़ॉर्म ड्रोन उड़ानों के लिए ग्रीन, येलो, रेड ज़ोन का डिजिटल मानचित्र प्रदान करता है और हरे क्षेत्रों में अनुमति के बिना ड्रोन उड़ाने की छूट देता है।
हालांकि, वास्तविक समय UTM – जिसमें ड्रोन ट्रैफ़िक को स्वतः प्रबंधित/समन्वय किया जाए – अब तक पूरी तरह लागू नहीं हुआ है। उद्योग निकाय Drone Federation of India ने अप्रैल 2025 में सरकार से आग्रह किया कि एक व्यापक रीयल-टाइम ड्रोन ट्रैफ़िक मैनेजमेंट सिस्टम शीघ्र लागू किया जाए, क्योंकि अभी BVLOS ऑपरेशन के लिए केस-बाय-केस मंज़ूरी की आवश्यकता पड़ती है। देश में लगभग 9,969 नो-फ़्लाई ज़ोन हैं, जिससे केंद्रीकृत UTM प्रणाली की ज़रूरत और भी बढ़ जाती है।
हाई-एल्टिट्यूड क्षेत्रों में मेडिकल सप्लाई पहुँचाने वाले ड्रोन के लिए रीयल-टाइम ट्रैफ़िक मैनेजमेंट बेहद आवश्यक है (प्रतीकात्मक चित्र)। भारत में 2021 में एक नेशनल UTM पॉलिसी फ्रेमवर्क जारी हुआ, लेकिन 2025 तक इसके कई पहलुओं को ज़मीन पर उतारा जाना बाकी है।
कुछ निजी खिलाड़ियों ने अपनी यूटीएम तकनीक विकसित करनी शुरू कर दी है। जैसे, Skye Air ने 2023 में अपना खुद का “Skye UTM” प्लेटफ़ॉर्म लॉन्च किया, जो ड्रोन और UTM के बीच ऑटोनोमस संवाद स्थापित कर सुरक्षित उड़ान सुनिश्चित करता है। इस प्रणाली में हवाई यातायात नियंत्रक (ATC) के साथ सीधे बात-चीत की ज़रूरत नहीं होती, बल्कि ड्रोन स्वतः ही UTM प्लेटफ़ॉर्म से निर्देश प्राप्त करता है।
इस प्रकार के समाधानों से संकेत मिलता है कि आने वाले समय में भारत में एक मिश्रित सार्वजनिक-निजी UTM इकोसिस्टम विकसित होगा। कुल मिलाकर, UTM का ढाँचा बन चुका है और परीक्षण जारी हैं, परंतु देशव्यापी वास्तविक-समय ड्रोन ट्रैफ़िक प्रबंधन व्यवस्था अगले कुछ वर्षों में ही पूर्णतः संचालन में आने की उम्मीद है।
पायलट प्रोजेक्ट्स: प्रमुख राज्य और शहर 🌐
हाल के वर्षों में कई राज्यों और शहरों ने ड्रोन डिलीवरी के पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए हैं, जिनसे मूल्यवान अनुभव मिल रहा है:
तेलंगाना: ड्रोन प्रयोग में सबसे आगे, तेलंगाना ने 2021 में “Medicine from the Sky” पहल शुरू की। इसके तहत वीक़ाराबाद ज़िले में कोविड-19 वैक्सीन, मेडिसिन और सैंपल्स की BVLOS (Beyond Visual Line of Sight) डिलीवरी के ट्रायल आयोजित हुए। डंज़ो (Dunzo) के नेतृत्व में एक कंसोर्टियम ने कई ड्रोन उड़ानें संचालित कीं और ग्रामीण हेल्थकेयर चेन के लिए ड्रोन की उपयोगिता साबित की।
पहले चरण में 300 वैक्सीन के ट्रायल ड्रोन द्वारा पहुँचाए गए, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। तेलंगाना सरकार ने राज्य की पहली ड्रोन नीति भी जारी की और भविष्य में ड्रोन परीक्षण हेतु एक कॉरिडोर व एरोस्पेस यूनिवर्सिटी स्थापित करने की योजना पर काम किया। कुल मिलाकर, दूरदराज़ स्वास्थ्य सेवाओं में ड्रोन के इस्तेमाल का तेलंगाना मॉडल कई अन्य राज्यों के लिए मार्गदर्शक बना है।
कर्नाटक: 2021 में DGCA द्वारा अनुमत BVLOS ट्रायल्स के तहत कर्नाटक के गौरिबिदनूर (ज़िला चिक्कबल्लापुर) में दवाओं की ड्रोन डिलीवरी के परीक्षण हुए। थ्रॉटल एयरोस्पेस (Throttle Aerospace) ने नारायणा हेल्थ के सहयोग से 21 जून 2021 को दवाइयों की आपूर्ति के लिए एक्सपेरिमेंटल फ्लाइट लॉन्च की। आगे चलकर, बेंगलुरु ने 2025 में देश की पहली सार्वजनिक ड्रोन डिलीवरी सेवाओं में से एक की शुरुआत होते देखी. मार्च 2025 में Skye Air ने बैंगलुरू में कॉननकुंटे और कनकपुरा रोड क्षेत्रों में कमर्शियल ड्रोन डिलीवरी सेवा लॉन्च की।
सिर्फ तीन सप्ताह में बेंगलुरु में 100 से अधिक डिलीवरी ड्रोन द्वारा पूरी कर ली गई। रहवासी अब महज़ 7 मिनट में ड्रोन से ज़रूरी सामान मंगवा पा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पहले गुरुग्राम (हरियाणा) भारत का पहला शहर था जहाँ व्यावसायिक ड्रोन डिलीवरी सेवा शुरू हुई – 2022-23 में गुरुग्राम के सेक्टर 92 में ड्रोन ने 7.5 किमी की दूरी महज़ 3-4 मिनट में तय कर पैकेज पहुँचाया। गुरुग्राम में पिछले एक वर्ष में लगभग 10 लाख डिलीवरी ड्रोन से पूरी की जा चुकी हैं, जिसके बाद कंपनी ने बेंगलुरु में विस्तार किया। बेंगलुरु की बात करें तो ड्रोन ऑपरेशन के लिए HAL एयरपोर्ट जैसे संस्थानों से समन्वय रखा गया है क्योंकि उड़ान मार्ग उनके एयरस्पेस के पास से गुज़रते हैं।
उत्तर-पूर्वी राज्य: पूर्वोत्तर भारत में कठिन भूभाग के कारण ड्रोन डिलीवरी का विशेष महत्व है। मेघालय में दिसंबर 2022 में एशिया का पहला ड्रोन डिलीवरी हब और नेटवर्क स्थापित किया गया। टेकईगल (TechEagle) नामक स्टार्टअप ने वर्ल्ड बैंक व राज्य सरकार के सहयोग से जेंगजोल अस्पताल से पैदलदोबा (Padeldoba) प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक ड्रोन से दवाइयाँ पहुँचाने की सेवा शुरू की। यह नेटवर्क तब से लगातार चल रहा है और दूरदराज़ के गांवों तक नियमित ड्रोन आपूर्ति हो रही है।
असम: मार्च 2024 में, AIIMS गुवाहाटी ने 104 किमी लंबे ड्रोन कॉरिडोर परियोजना के लिए TechEagle को चुना – यह देश में मेडिकल ड्रोन डिलीवरी के लिए सबसे लंबा निर्धारित मार्ग होगा। ट्रायल के दौरान Vertiplane X3 ड्रोन ने 104 किमी की हवाई दूरी सफलतापूर्वक तय की, जो भारत में अब तक की सबसे लंबी मेडिकल ड्रोन उड़ान बताई गई।
इस परियोजना के तहत AIIMS गुवाहाटी से आसपास के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) तक दवाएँ, वैक्सीन और ब्लड यूनिट्स ड्रोन से भेजी जाएंगी, और वहीं से मरीजों के सैंपल (खून, थूक आदि) टेस्टिंग के लिए AIIMS लाए जाएँगे। विशेषज्ञों के अनुसार यह पहल पूर्वोत्तर में ज़मीनी लॉजिस्टिक्स का विकल्प बनकर हेल्थकेयर डिलीवरी में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
अन्य राज्य: उत्तराखंड में एम्स ऋषिकेश ने पहाड़ी इलाकों में टीबी की दवाइयों की ड्रोन से डिलीवरी के ट्रायल 2023-24 में किए। ऋषिकेश से न्यू टिहरी तक ~14 किमी की दूरी ड्रोन ने ~14 मिनट में तय की, जिसमें Skye Air के VTOL Starliner ड्रोन का उपयोग हुआ। इसी तरह टेकईगल के ड्रोन ने 3 किलो टीबी दवाएँ ऋषिकेश से टिहरी पहुंचाईं।
ओडिशा के कंधमाल ज़िले में 2023 में Redwing Labs ने स्थानीय आईटीआई छात्रों को ड्रोन ऑपरेशन का प्रशिक्षण देकर स्वास्थ्य आपूर्ति नेटवर्क स्थापित करने की नींव रखी। हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जैसे ऊँचाई वाले क्षेत्रों में 2023 के ICMR प्रोजेक्ट के तहत हेल्थ सेंटरों को ड्रोन से जोड़ा जा रहा है। इन सब ट्रायल व पायलट प्रोजेक्ट्स से मिला अनुभव आने वाले वर्षों में देशव्यापी ड्रोन डिलीवरी नेटवर्क के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहा है।
निजी कंपनियों की पहल और सफल ट्रायल्स 🚁
हाल के वर्षों में कई प्राइवेट कंपनियाँ और स्टार्टअप ड्रोन डिलीवरी के इनोवेशन में आगे आए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख नाम और उनकी पहल इस प्रकार हैं:
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Swiggy: भारत की अग्रणी फ़ूड डिलीवरी कंपनी स्विगी ने 2021 में ANRA Technologies के साथ मिलकर पहला एंड-टू-एंड BVLOS डिलीवरी ट्रायल किया। उत्तर प्रदेश के ज्वारा में स्विगी ने BVLOS फ़ूड डिलीवरी के लिए ड्रोन उड़ानें संचालित कीं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में खाने का ऑर्डर ड्रोन से पहुँचाने की संभावना का परीक्षण हुआ। यह भारत के उन 20 कंसोर्टिया में शामिल था जिन्हें DGCA की BEAM कमेटी ने BVLOS प्रयोगों की अनुमति दी थी। Swiggy के ट्रायल्स ने यह दिखाया कि तकनीकी रूप से भोजन या पैकेज को कई किलोमीटर दूर तक ड्रोन से पहुँचाया जा सकता है।
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Zomato: जोमाटो ने भी 2019 में ड्रोन से फ़ूड डिलीवरी का परीक्षण किया था, जिसमें एक ड्रोन ने 5 किमी दूरी लगभग 10 मिनट में तय की। 2020 में Zomato ने TechEagle नामक ड्रोन स्टार्टअप का अधिग्रहण भी किया था (हालांकि बाद में अलग हो गए)। 2021 में DGCA से BVLOS ट्रायल की अनुमति पाने वाली Zomato को अपेक्षित सफलता नहीं मिली और अभी तक जोमाटो की ड्रोन डिलीवरी व्यावसायिक रूप से शुरू नहीं हो पाई है। हालाँकि, कंपनी ने Garuda Aerospace के साथ मिलकर साझेदारी की घोषणा की थी कि जैसे ही रेगुलेटरी माहौल उचित होगा, वे ड्रोन्स के ज़रिए फ़ूड या ग्रोसरी डिलीवरी की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
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Dunzo: गूगल समर्थित डंज़ो ने चिकित्सा आपूर्ति में ड्रोन का उपयोग करने पर सबसे अधिक जोर दिया। तेलंगाना के Medicine from the Sky प्रोजेक्ट में डंज़ो लीड कंसोर्टियम था जिसने कोविड वैक्सीन और दवाओं की BVLOS उड़ानें भरी। इस दौरान डंज़ो ने आवश्यक ड्रोन सॉफ्टवेयर और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क प्रदान किया। डंज़ो की टीम ने 2021 में तेलंगाना में सफल ट्रायल कर यह दर्शाया कि मुश्किल परिस्थितियों में भी ड्रोन विश्वसनीयता से कार्य कर सकते हैं। वर्तमान में डंज़ो ड्रोन डिलीवरी को अपने हाइपरलोकल डिलीवरी मॉडल में शामिल करने की संभावनाओं पर काम कर रहा है।
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Flipkart: देश की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने 2021 में तेलंगाना सरकार के साथ साझेदारी कर दूरदराज़ क्षेत्रों में मेडिकल सप्लाई ड्रोन से पहुँचाने के पायलट प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया। Flipkart-Air Consortium के तहत इसने ड्रोन स्टार्टअप्स (जैसे Skye Air Mobility, DroneAcharya) के साथ मिलकर वैक्सीन और मेडिकल सप्लाईज़ की डिलीवरी के डेमोंस्ट्रेशन किए। जून 2021 के ट्रायल में फ्लिपकार्ट ने तेलंगाना में ड्रोन से टीके एवं मेडिकल किट सप्लाई कर यह जांचा कि ग्रामीण इलाकों में तेज़ डिलीवरी कैसे संभव है। इस सफल पायलट के बाद फ्लिपकार्ट लॉजिस्टिक्स में ड्रोन के उपयोग के लिए एक रणनीति बना रही है, जिसका प्रयोग भविष्य में ई-कॉमर्स पार्सल डिलीवरी में हो सकता है।
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Blue Dart Express: ब्लूडार्ट, जो एक बड़ी लॉजिस्टिक कंपनी है, ने Medicine From The Sky के अंतर्गत तेलंगाना में “Bluedart Med-Express Consortium” के रूप में हिस्सा लिया। इसने सितंबर 2021 में विकाराबाद में Skye Air के साथ मिलकर 175 वैक्सीन वाली खेप को ड्रोन द्वारा सफलतापूर्वक पहुँचाया। ब्लूडार्ट जैसी पारंपरिक कोरियर कंपनी का ड्रोन को अपनाना एक संकेत है कि मुख्यधारा लॉजिस्टिक्स भी इस टेक्नोलॉजी को परीक्षण के रूप में देख रहे हैं।
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Skye Air Mobility: स्काई एयर हाल के दिनों में सबसे सक्रिय ड्रोन डिलीवरी स्टार्टअप रहा है। इसने गुरुग्राम में 2022 से नियमित हाइपरलोकल डिलीवरी सेवा चलाई, जहाँ अब तक 10 लाख से अधिक ऑर्डर ड्रोन से पूरे किए जा चुके हैं। मार्च 2025 में स्काई एयर ने बेंगलुरु में अपनी सेवा शुरू की और तीन हफ्तों में 100+ डिलीवरी का आंकड़ा पार किया। Skye Air का ड्रोन “Skye Ship One” एक हाई-कैपेसिटी VTOL मॉडल है जो प्रति उड़ान 10 किलो तक वजन ले जा सकता है। यह कंपनी अपने स्वयं के Skye UTM सिस्टम का उपयोग करती है और Skye Tunnel कॉरिडोर के माध्यम से ड्रोन उड़ाती है। स्काई एयर ने ब्लूडार्ट, डीटीडीसी, ईकॉम एक्सप्रेस, शिपरॉकेट जैसे लॉजिस्टिक क्लायंट्स के लिए भी डिलीवरी की है। दवाइयों की आपूर्ति हेतु Skye Air ने सितंबर 2023 में सिप्ला के साथ मिलकर ड्रोन द्वारा क्रिटिकल मेडिसिन अस्पतालों तक पहुंचाने की पहल शुरू की (प्रारंभिक चरण में)। इन नवाचारों के कारण Skye Air शहरी हवाई डिलीवरी का अग्रणी चेहरा बनकर उभरा है।
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TechEagle: टेकईगल इनोवेशन ने ड्रोन तकनीक में लंबी दूरी की क्षमता साबित की है। इस भारतीय स्टार्टअप के Vertiplane X3 ड्रोन हाइब्रिड (वर्टिकल टेक-ऑफ़, फिर फिक्स्ड-विंग फ्लाइट) तकनीक पर आधारित हैं, जो 100 किमी से अधिक की रेंज कवर कर सकते हैं। मेघालय में एशिया का पहला ड्रोन डिलीवरी नेटवर्क स्थापित करने के बाद, मार्च 2024 में टेकईगल ने AIIMS गुवाहाटी की 104 किमी कॉरिडोर टेंडर बाज़ी जीती। पायलट रन में इस ड्रोन ने 104 किमी उड़ान पूरी की – भारत में मेडिकल ड्रोन का सबसे लंबा मिशन। टेकईगल ने उत्तराखंड (AIIMS ऋषिकेश) और राजस्थान (AIIMS जोधपुर) में भी चिकित्सा आपूर्ति के लिए ड्रोन ट्रायल किए हैं। कंपनी ने घोषणा की है कि यह भविष्य में ई-कॉमर्स और हाइपरलोकल सेक्टर के लिए भी देश भर में ऐसे और ड्रोन हब शुरू करेगी।
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Redwing Labs: रेडविंग लैब्स स्वास्थ्य आपूर्ति श्रृंखला में ड्रोन का उपयोग करने पर केंद्रित है। USAID समर्थित SAMRIDH पहल के साथ मिलकर Redwing भारत के सुदूरवर्ती ज़िलों में स्थायी ड्रोन नेटवर्क स्थापित कर रही है। ये ऑटोनोमस ड्रोन नेटवर्क 150 से अधिक प्रकार के मेडिकल प्रोडक्ट्स (टीके, ब्लड यूनिट, दवाइयाँ, डायग्नोस्टिक सैंपल) ऑन-डिमांड डिलीवर करने में सक्षम हैं। रेडविंग ने अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, ओडिशा जैसे राज्यों में ट्रायल/ऑपरेशन किए हैं और स्थानीय युवाओं (खासकर महिलाओं) को ड्रोन ऑपरेशन में प्रशिक्षण देकर रोजगार सृजन पर भी जोर दिया है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम ने 2024 में बताया कि Medicine from the Sky कार्यक्रम (जिसमें रेडविंग प्रमुख भागीदार है) के तहत भारत में अब तक 1,000+ ड्रोन उड़ानों में 10,000 से अधिक मेडिकल उत्पाद पहुँचाए जा चुके हैं – यह बदलाव दर्शाता है कि ड्रोन वास्तव में हेल्थकेयर एक्सेस को बदल रहे हैं।
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TSAW Drones: यह एक हेल्थकेयर ड्रोन लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप है जिसे 2023 में Indian Council of Medical Research (ICMR) से एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट मिला। TSAW को तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के तीन विभिन्न क्षेत्रों में 6 महीने तक नियमित मेडिकल ड्रोन डिलीवरी संचालित करने का दायित्व सौंपा गया। इस प्रोजेक्ट के तहत टीबी के सैंपल, टिशू सैंपल, दवाएँ आदि वितरण केंद्रों से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक ड्रोन द्वारा पहुँचाए जा रहे हैं। सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा हिमाचल के लाहौल जैसे स्थानों में 12,000+ फीट ऊँचाई पर स्थित PHC को जोड़ना है, जिसे TSAW विशेष ड्रोन से अंजाम दे रही है। यह परियोजना दर्शाती है कि भारतीय स्टार्टअप्स कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी ड्रोन ऑपरेशन का सफलतापूर्वक प्रबंधन कर सकते हैं।
इनके अलावा भी कई अन्य स्टार्टअप (जैसे Marut Drones द्वारा एग्रीकल्चर/मेडिकल ड्रोन, Garuda Aerospace द्वारा मल्टी-यूटिलिटी ड्रोन, ideaForge जो सेना के साथ काम करते हुए अब सर्वे/डिलीवरी क्षेत्र में उतरे हैं) भारत में सक्रिय हैं। निजी क्षेत्र की इन पहलों ने यह प्रमाणित किया है कि तकनीकी रूप से भारत में ड्रोन डिलीवरी संभव और व्यावहारिक है – बस नियामकीय स्पष्टता और स्केलेबिलिटी बढ़ने की देर है।
तकनीकी क्षमता: पेलोड, रेंज और नवाचार ⚙️
ड्रोन डिलीवरी की प्रौद्योगिकी बीते कुछ वर्षों में काफी परिपक्व हुई है, किंतु अभी भी इसे दूरी, भार क्षमता और ऊर्जा स्रोत के हिसाब से सीमाओं का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर, लॉजिस्टिक्स ड्रोन्स 2 से 10 किलोग्राम तक का पेलोड वहन करने में सक्षम हैं और एक चार्ज/फ्यूल पर 5 से 20 किमी (या अधिक, यदि फिक्स्ड-विंग हो) तक उड़ सकते हैं।
उदाहरण के लिए, Skye Air के मल्टीरोटर ड्रोन Skye Ship One की पेलोड क्षमता 10 किलो तक है, जबकि टेकईगल के Vertiplane X3 जैसे हाइब्रिड विटोल ड्रोन लंबी दूरी (100+ किमी) के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। हाल ही में बेंगलुरु-गुरुग्राम में उपयोग हो रहे ड्रोन्स ने ~7-8 किमी की डिलीवरी सिर्फ 3-7 मिनट में पूरी की है, जिससे पता चलता है कि औसत गति 60-120 किमी/घंटा हासिल की जा रही है।
शहरी क्षेत्र में पार्सल ले जाता एक क्वाडकॉप्टर डिलीवरी ड्रोन (सांकेतिक चित्र)। आमतौर पर ऐसे छोटे ड्रोन्स की उड़ान अवधि 20-30 मिनट होती है, जो हाई-डेंसिटी बैटरी और हल्के फ्रेम के उपयोग से संभव हुई है।
ड्रोन में मुख्यतः बैटरी तकनीक का प्रयोग होता है – लिथियम-पॉलिमर या लिथियम-आयन बैटरियों ने उड़ान समय को पर्याप्त बढ़ाया है, साथ ही सोलर/हाइब्रिड पावर पर भी प्रयोग चल रहे हैं। लंबी दूरी के VTOL (Vertical Take-Off and Landing) ड्रोन्स फिक्स्ड-विंग का लाभ लेते हैं जिससे उनके ऊर्जा उपभोग में कमी आती है और रेंज बढ़ती है। वहीं भारी पेलोड के लिए कुछ स्टार्टअप्स पेट्रोल/जैव-ईंधन आधारित ड्रोन या हाइड्रोजन फ़्यूल सेल ड्रोन पर भी काम कर रहे हैं, ताकि 50-200 किलो तक सामान ले जाया जा सके (उदाहरण: बेंगलुरु स्थित Scandron कंपनी ने 200 किलो तक वहन करने वाला ड्रोन प्रोटोटाइप तैयार किया है जो भविष्य में अंग प्रत्यारोपण के लिए उपयोग हो सकता है)।
नेविगेशन और नियंत्रण: भारत के लगभग सभी आधुनिक ड्रोन्स GPS/GNSS आधारित ऑटोपायलट सिस्टम से लैस हैं, जो पूर्व-निर्धारित मार्गों पर उच्च सटीकता के साथ उड़ते हैं। डिजिटलSky जैसे प्लेटफ़ॉर्म से जुड़े होने पर ये NPNT (No Permission, No Takeoff) नियम का पालन करते हैं, यानी ज़ोन प्रतिबंध आदि का उल्लंघन होने पर ये टेक-ऑफ़ नहीं करेंगे। इसके अलावा, कई ड्रोन्स में रीयल-टाइम एआई/कंप्यूटर विज़न तकनीक लगी है जो मार्ग में आने वाले अवरोध (पेड़, इमारत, पक्षी) का पता लगाकर टकराव टाल सकती है। ड्रोन निर्माता sense and avoid सेंसर (LiDAR, अल्ट्रासोनिक, कैमरा) को इंटीग्रेट कर रहे हैं ताकि भीड़भाड़ वाले शहरी माहौल में भी ये सुरक्षित उड़ सकें।
पैकेज डिलीवरी तकनीक: अंतिम उपभोक्ता तक सामान पहुंचाने के लिए ड्रोन कई तरीके इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ ड्रोन्स लैंड करके पैकेज ड्रॉप करते हैं, जबकि कुछ विंच (winch) मेकैनिज़म द्वारा ऊपर हवा में मँडराते हुए नीचे रस्सी से पैकेज उतारते हैं। स्काई एयर का ड्रोन 20 मीटर की ऊँचाई पर रुक कर स्वचालित “Skye Winch” सिस्टम से पार्सल नीचे रख देता है और फिर वापस लौट जाता है। इस तरीके से छोटे जगह में भी डिलीवरी मुमकिन होती है, बशर्ते नीचे एक निर्धारित ड्रॉप ज़ोन या “Skye Pod” उपलब्ध हो। भविष्य में, पैराशूट द्वारा ड्रॉप, एक्यूरेट पिन-पॉइंट लैंडिंग, या मोबाइल रोबोट के साथ संयोजन जैसी तकनीकें भी देखी जा सकती हैं।
चुनौतियाँ: तकनीकी दृष्टि से अभी ड्रोन डिलीवरी को कुछ प्रमुख चुनौतियों का सामना है – बैटरी सीमित उड़ान समय, तेज़ हवा/बारिश जैसी खराब मौसम स्थिति, भारी पेलोड उठाने में दिक्कत, तथा शहरी क्षेत्रों में रेडियो इंटरफ़ेरेंस। परंतु अनुसंधान इन क्षेत्रों में जारी है: नई बैटरियाँ जो प्रति किलो अधिक ऊर्जा रखें, AI आधारित मौसम अनुकूलन उड़ान योजनाएँ, और स्वार्म तकनीक (एक से अधिक ड्रोन का समूह) जिससे दक्षता बढ़ाई जा सके। कुल मिलाकर, औसत लॉजिस्टिक ड्रोन वर्तमान में छोटी-मध्यम दूरी के हल्के पैकेज (खासतौर पर मेडिसिन, भोजन, डाक) की डिलीवरी के लिए उपयुक्त हैं, और जैसे-जैसे तकनीक में सुधार होगा, उनकी क्षमता और विश्वसनीयता में वृद्धि निश्चित है।
अनूठे उपयोग और भविष्य की संभावनाएँ 🔮
ड्रोन डिलीवरी ने न सिर्फ़ ई-कॉमर्स या फ़ूड सेक्टर, बल्कि कई अनूठे उपयोग के क्षेत्रों में संभावनाएँ जगाई हैं। सबसे अधिक प्रभावशाली उपयोग स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन में देखा जा रहा है। दुर्गम ग्रामीण या पहाड़ी क्षेत्रों में, जहाँ सड़क से 5-6 घंटे लगते थे, अब ड्रोन ने मिनटों में ज़रूरी दवाएँ पहुँचा कर जीवन बचाने शुरू कर दिए हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान टीकों और टेस्ट सैंपल की त्वरित ढुलाई में ड्रोन का प्रयोग एक गेम-चेंजर साबित हुआ। 2022-24 में, अलग-अलग पहलों के तहत (तेलंगाना के Medicine from the Sky से लेकर ICMR और राज्य परियोजनाओं तक) हजारों ग्रामीणों को समय पर टीकाकरण और जांच सुविधा मिली। यह हेल्थकेयर इक्विटी की दिशा में एक बड़ा कदम है – जैसा कि तेलंगाना आईटी विभाग के प्रमुख ने कहा, “दूरदराज़ इलाकों में स्वास्थ्य सेवा को ड्रोन के ज़रिए समानता के साथ पहुँचाना ही इस पहल का विज़न है”।
कृषि (Agriculture) एवं भूमि प्रबंधन: सरकार ने “किसान ड्रोन” को प्रोत्साहित करने के लिए 2022 में विशेष दिशा-निर्देश जारी किए, जिसमें कृषि ड्रोन खरीद पर सब्सिडी और कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना शामिल है। ड्रोन का उपयोग खेतों में स्प्रे करने, बीज बोने, और निगरानी (फसलों की सेहत, इंफ़्रारेड इमेजिंग) के लिए बढ़ा है। यद्यपि यह सीधे “डिलीवरी” श्रेणी में नहीं आता, लेकिन इसका असर सप्लाई चेन पर पड़ता है – उर्वरक/कीटनाशक को ड्रोन से खेत तक पहुँचाना भी एक प्रकार की डिलीवरी ही है। कुछ राज्य (जैसे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र) में ट्रैक्टर ड्रोन से बीज की बमबारी या टिड्डी नियंत्रण के प्रयोग सफल रहे हैं। ड्रोन से प्राप्त फार्म डाटा का उपयोग सटीक कृषि (Precision Farming) में हो रहा है, जिससे उत्पादकता बढ़ेगी और अंततः खाद्य आपूर्ति श्रृंखला मज़बूत होगी।
आपदा प्रबंधन एवं आपूर्ति: आपातकालीन हालात – बाढ़, भूस्खलन, अथवा महामारी – में ड्रोन ने तेज़ राहत पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उड़ीसा या असम में बाढ़ के दौरान फँसे गाँवों में ड्रोन से खाने-पीने का सामान गिराने के उदाहरण हैं। भारतीय सेना ने भी ऊँचाई वाले मोर्चों पर जवानों को रसद पहुंचाने के लिए ड्रोन का प्रयोग शुरू किया है (उदाहरण: लद्दाख में परीक्षण)। सैन्य तकनीक से निकले भारी-भरकम ड्रोन अब नागरिक उद्देश्यों के लिए ट्यून किए जा रहे हैं – जैसे भारी पेलोड ले जाने वाले ड्रोन, जो मूलतः सेना के लिए बने थे, अब अंग प्रत्यारोपण के लिए शहरों के बीच हार्ट/ऑर्गन ट्रांसप्लांट दौड़ में इस्तेमाल करने पर विचार हो रहा है। 2023 में मुंबई में एक मानव हृदय को ट्रैफ़िक जाम से बचाने के लिए ड्रोन से ले जाने का परीक्षण किया गया, ताकि “ग्रीन कॉरिडोर” की बजाय “एरियल कॉरिडोर” से समय बचाया जा सके (इससे अंग प्रत्यारोपण में सफलता की दर बढ़ती है)। इन प्रयोगों से संकेत मिलता है कि भविष्य में आपात मेडिकल लॉजिस्टिक्स में ड्रोन मानक तरीका हो सकता है।
डिफेन्स-से-सिविलियन टेक्नॉलॉजी ट्रांसफ़र: ड्रोन तकनीक का विकास पहले सेना और रक्षा अनुसंधान (DRDO आदि) में हुआ – उदा. लक्ष्य, निशांत, रुस्टर जैसे UAV रक्षा क्षेत्र में थे। अब यही टेक्नॉलॉजी लघु रूप में आम नागरिक उपयोगों में आ रही है। स्वदेशी ड्रोन निर्माता ideaForge ने पहले भारतीय सेना के लिए सर्विलांस ड्रोन बनाए, अब वही कंपनी सर्वेक्षण और डिलीवरी ड्रोन मार्केट में उतरी है। सेना के लिए विकसित एंटी-जैम GPS, लंबी दूरी संचार, और रात्रि विज़न जैसी सुविधाएँ अब कमर्शियल ड्रोन्स में भी दी जा रही हैं। रक्षा मिनिस्ट्री की एक हालिया योजना के तहत सैन्य इस्तेमाल के लिए विकसित कुछ कैमिकाज़े ड्रोन तकनीक को आपदा प्रबंधन के लिए मॉडिफाई करने पर विचार है – जैसे भूकंप में इमारत के भीतर घुसकर लोगों तक दवाई पहुंचाने वाले छोटे स्वायत्त ड्रोन। इस तरह के आइडिया अभी कॉन्सेप्चुअल हैं लेकिन सिविल और डिफेंस ड्रोन इकोसिस्टम का अभिसरण बढ़ रहा है।
भविष्य की राह: भारत में ड्रोन डिलीवरी का भविष्य उज्ज्वल दिखाई देता है। नीति आयोग और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के रोडमैप अनुसार, 2026 तक देश में चुनिंदा कॉरिडोर में नियमित ड्रोन पार्सल सेवा शुरू होने की संभावना है (विशेषकर मेडिकल व आपात वस्तुओं के लिए)। यदि रेगुलेटरी फ्रेमवर्क (UTM, BVLOS परमिशन) शीघ्र स्थापित हो जाता है, तो ई-कॉमर्स फर्में पायलट स्तर से बढ़कर बड़े पैमाने पर ड्रोन डिलीवरी अपनाने लगेंगी। इससे महानगरों में ट्रैफ़िक दबाव कम होगा और उपभोक्ताओं को अल्ट्रा-फ़ास्ट डिलीवरी (30 मिनट से कम) मिल सकेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जैसे देश में, जहाँ इंफ्रास्ट्रक्चर की चुनौतियाँ हैं, ड्रोन लॉजिस्टिक्स का एक लीपफ़्रॉग समाधान हो सकता है।
साथ ही, हमें एयरस्पेस से जुड़े सुरक्षा, प्राइवेसी और कानूनी मसलों को भी सुलझाना होगा। सभी ड्रोन्स का रिमोट आइडेंटिफिकेशन, भौगोलिक सीमा-निर्धारण (जियोफ़ेंसिंग) और इंश्योरेंस अनिवार्य किए जा रहे हैं, ताकि गलत इस्तेमाल रुके। जैसे-जैसे तकनीक परिपक्व होगी, कीमत कम होगी और लोकस्वीकार्यता बढ़ेगी। 2030 तक भारत को ड्रोन हब बनाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार, उद्योग और स्टार्टअप्स, तीनों मिलकर काम कर रहे हैं। नवीनतम घटनाक्रमों ने साबित किया है कि ड्रोन केवल शौकिया उड़ानों या फोटो खींचने तक सीमित नहीं हैं – अब ये जीवन बचाने से लेकर आपका खाना डिलीवर करने तक, हर भूमिका में उतरने को तैयार हैं। आने वाले दशकों में, भारत में स्मार्ट सिटी के आसमान में ड्रोन कॉरिडोर चमकते दिखेंगे और “ढन-ढन करती डाकिया गाड़ी” की जगह भिनभिनाते ड्रोन पार्सल लाते सुनाई देंगे – यह बदलाव बस करीब ही है!
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