भारतीय सेना में एक नए दौर की शुरुआत हुई है जब एक प्रसिद्ध महिला अधिकारी, कर्नल Sofia Qureshi, ने ऑपरेशन सिंदूर की मीडिया ब्रीफिंग को लीड किया। ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान और पीओके के जिहादी कैंपों पर किया गया एक निर्णायक प्रिसिशन स्ट्राइक था, जिसका उद्देश्य पहलगाम के 22 अप्रैल 2025 के आतंकी हमले का जवाब देना था। उस हमले में 26 लोगों की जान गई थी। कर्नल Sofia Qureshi ने ब्रीफिंग में बताया कि इस ऑपरेशन का लक्ष्य आतंकवादी नेटवर्क को कमज़ोर करना है – यानी “आतंकवाद की कमर तोड़ना”। उनके दृढ़ता भरे अल्फ़ाज़ और हिम्मत भरे नेतृत्व ने महिलाओं के लिए एक मिसाल कायम की है। ऐसी खबरें अब Trending News India पर वायरल हो चुकी हैं और हर तरफ़ महिला सैन्य शक्ति की चर्चा हो रही है।
कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी (Sofia Qureshi)?
कर्नल सोफिया कुरैशी (Sofia Qureshi) भारतीय सेना की एक प्रमुख और प्रेरणादायक महिला अधिकारी हैं। उनका संबंध गुजरात के वडोदरा से है। उनका परिवार पहले से ही सेना से जुड़ा रहा है, उनके दादा भी भारतीय सेना में अपनी सेवा दे चुके हैं। बचपन से ही सोफिया का पालन-पोषण एक अनुशासित और देशभक्ति भरे वातावरण में हुआ, जिसने उनके भीतर राष्ट्र सेवा का जज़्बा पैदा किया। उन्होंने ग्वालियर के सिंधिया स्कूल से स्कूली शिक्षा प्राप्त की और फिर बड़ौदा की एम.एस. यूनिवर्सिटी से केमिस्ट्री में बीएससी (1994) और एमएससी (1997) की डिग्री हासिल की। यह शैक्षणिक पृष्ठभूमि उनके तकनीकी कौशल और नेतृत्व क्षमता को मजबूत बनाने में बेहद सहायक रही।
सेना में उनकी यात्रा 1999 में शुरू हुई जब उन्होंने ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से कमीशन प्राप्त किया और भारतीय सेना के सिग्नल कोर में शामिल हुईं। तब से अब तक अपने 26 से अधिक वर्षों की सेवा में उन्होंने काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशन्स, डिजास्टर रिलीफ और अनेक रणनीतिक अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई है। अपने करियर में उन्होंने कई बार यह साबित किया है कि महिलाएं भी कठिन और चुनौतीपूर्ण हालात में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकती हैं।
उनका पारिवारिक जीवन भी सेना से जुड़ा हुआ है। उन्होंने मेजर ताजुद्दीन कुरैशी (मेकनाइज़्ड इन्फैंट्री) से विवाह किया है और उनका एक बेटा है, जिसका नाम समीर है। कर्नल कुरैशी का सपना डीआरडीओ जैसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संस्थानों में काम करने का था, लेकिन जब पहली बार उन्होंने सेना के लिए आवेदन दिया, तो उनका चयन तुरंत हो गया। तभी से उन्होंने देश सेवा को ही अपने जीवन का मिशन बना लिया। उनका यह जुनून, समर्पण और संकल्प इस बात का प्रमाण है कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है।
ऑपरेशन सिंदूर: एक पावरफुल मिशन
ऑपरेशन सिंदूर एक निर्णायक बदले की कार्यवाही थी, जो 7 मई 2025 की सुबह 1:05 बजे से शुरू होकर कुछ ही घंटों में समाप्त हो गई। भारत की सेना, वायुसेना और नौसेना ने मिलकर पाकिस्तान और पीओके के कुल 9 जिहादी कैंपों पर हमला किया (4 पाकिस्तान में, 5 पीओके में)। कर्नल कुरैशी ने ब्रीफिंग में स्पष्ट किया कि इस मिशन का उद्देश्य आतंकवाद के ढांचे को नष्ट करना था – “आतंकवाद की कमर तोड़ना”। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में किसी भी नागरिक को नुकसान नहीं पहुँचाया गया और “सैन्य प्रतिष्ठानों” को भी टारगेट नहीं किया गया।
मिशन की मुख्य बातें:
-
तारीख और समय: 7 मई 2025 सुबह 1:05 से 1:30 बजे तक, मात्र 25 मिनट में यह मिशन पूरा हुआ।
-
कार्रवाई: भारत ने 9 हाई-वैल्यू जिहादी कैंपों को निशाना बनाया – 4 पाकिस्तान में और 5 पीओके में। प्रत्येक लक्ष्य पर सटीक इंटेलिजेंस आधारित हमला किया गया।
-
निष्ठा: कर्नल कुरैशी ने ज़ोर देकर कहा कि कोई नागरिक नुकसान नहीं हुआ, और केवल आतंकवादी ठिकानों को ही निशाना बनाया गया।
-
निशाने की जानकारी: पाकिस्तान के चार मुख्य कैंप – बहावलपुर, मुरिदके, सर्जल और मेहमूना जॉय – को निशाना बनाया गया। इन कैंपों में लश्कर-ए-तैयबा और हिज़बुल मुजाहिद्दीन जैसे संगठनों की गतिविधियाँ होती थीं।
-
प्रेस ब्रीफिंग: कर्नल कुरैशी ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ मिलकर ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग दी और स्पष्ट किया कि यह एक “जवाबी और टारगेटेड स्ट्राइक” थी।
-
ऐतिहासिक क्षण: पहली बार ऐसा हुआ कि सेना और वायुसेना की दो महिला अधिकारियों – कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह – ने मिलकर किसी बड़े सैन्य ऑपरेशन की प्रेस ब्रीफिंग की।
-
कोडनेम का अर्थ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन का कोडनेम “सिंदूर” रखा। सिंदूर भारतीय संस्कृति में शादीशुदा महिला की पहचान है, और यह कोडनेम उन विधवाओं को श्रद्धांजलि थी, जिन्होंने पहलगाम हमले में अपने पति खोए।
पहली महिला अफसर जो…
कर्नल कुरैशी ने अपने सेना जीवन में कुछ ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जो बताती हैं कि महिलाएं अब कोई सीमा नहीं मानतीं। उनकी कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ ये हैं:
एक्सरसाइज़ फोर्स-18 (2016): ASEAN प्लस देशों के साथ पुणे में हुआ एक्सरसाइज़ फोर्स-18 एक बहुराष्ट्रीय फील्ड ट्रेनिंग अभ्यास था (18 देश शामिल)। इसमें कर्नल कुरैशी पहली महिला अफसर थीं जिन्होंने इंडियन आर्मी के कंटिजेंट को लीड किया। वे ही इस पूरे अभ्यास की अकेली महिला कंटिजेंट कमांडर थीं, जिससे भारत की सेना में महिला नेतृत्व की महत्ता दिखाई दी।
यूएन पीसकीपिंग मिशन (2006): कर्नल कुरैशी ने 2006 में कांगो, अफ्रीका में यूएन शांति मिशन में सेवा दी। यहाँ वो आर्मी कंटिजेंट की अगुवाई करने वाली पहली भारतीय महिला अफसर बनीं। उन्होंने वहाँ भारत का गौरव बढ़ाया, आसानी से टैंक-आदमी के बीच काम करके और अपनी ड्यूटी निभाकर।
सेना रत्न: 30+ साल की सेवा में उन्होंने बहुत सारी ड्यूटीज़ निभाई, जिसमें काउंटर-इंसर्जेंसी अभियानों और प्राकृतिक आपदा राहत अभियानों का भी योगदान रहा। इनसे उन्हें कई कमेंडेशन्स मिल चुके हैं। देशभक्ति और सेवा की भावना के लिए उनका नाम “सेना रत्न” जैसे सम्मान का हकदार है।
ऐतिहासिक ब्रीफिंग (2025): कर्नल कुरैशी की इन ऊँचाइयों में से एक है कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस ब्रीफिंग को ऐसे लीड किया कि भारत की सेना के इतिहास में पहली बार दो महिला अफसरों ने एक साथ मिलकर बड़ी ऑपरेशन ब्रीफिंग दी। उनका दृढ़ता और बराबरी वाला नज़रिया भविष्य की महिलाओं को यह संदेश देता है कि जेंडर कोई रुकावट नहीं है।
ये सारे माइलस्टोन कर्नल सोफिया कुरैशी की डेडिकेशन और लीडरशिप को दर्शाते हैं। उन्होंने अपनी काबिलियत से साबित किया कि इंडियन आर्मी की महिला अफसरें भी किसी से कम नहीं, और अपने पराक्रम से प्रेरणा बन गई हैं।
यूएन मिशन और अंतरराष्ट्रीय योगदान
कर्नल कुरैशी न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी अपनी प्रतिभा से भारत का गौरव बढ़ाती रही हैं। कुछ मुख्य अंतरराष्ट्रीय योगदान ये हैं:
यूएन कांगो (2006): कर्नल कुरैशी ने 2006 में कांगो (अफ्रीका) में यूनाइटेड नेशंस पीसकीपिंग मिशन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वहाँ उन्होंने आतंकवाद विरोधी शांति कार्यक्रमों में अपनी सेवा दी और देश का नाम रोशन किया।
आसियान फोर्स-18 (2016): 2016 में पुणे में हुआ बहुराष्ट्रीय एक्सरसाइज़ फोर्स-18 में उन्होंने इंडिया का ट्रेनिंग कंटिजेंट लीड किया। यह विश्व-अभ्यास आसियान+18 देशों के साथ किया गया था जहाँ कर्नल कुरैशी एकमात्र महिला कंटिजेंट कमांडर थीं। यह उनके शांति प्रशिक्षण में प्रेरणा भी दर्शाता है।
शांति अभियान (2010 के बाद): 2010 के बाद भी कर्नल कुरैशी ने अन्य यूएन शांति मिशनों में योगदान दिया है। उनका बहुमुखी अनुभव अफ्रीका से लेकर एशिया तक महिलाओं के लिए एक मिसाल रहा है। यूएन और अन्य ग्लोबल फोरम्स में उनका योगदान इस बात का सबूत है कि भारतीय महिलाएँ विदेशों में भी देश की शान बढ़ा रही हैं।
इन सभी अंतरराष्ट्रीय योगदानों से स्पष्ट होता है कि कर्नल कुरैशी की ताक़त से भारतीय सेना में महिलाओं के सम्मान को नया आयाम मिल रहा है। उन्होंने दुनिया भर में यह साबित किया है कि इंडियन आर्मी की महिला अधिकारी हर मिशन में नेतृत्व निभा सकती हैं।
महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत
कर्नल सोफिया कुरैशी की कहानी हमारी युवा महिलाओं के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल है। उन्होंने दिखा दिया कि अपनी मेहनत और दृढ़ता से सब कुछ मुमकिन है। उनके बारे में कुछ प्रेरणादायक बातें ये हैं:
परिवर्तन की जगह: कर्नल कुरैशी का बचपन किसी एथलेटिक या एनसीसी बैकग्राउंड से भारी नहीं था, लेकिन उन्होंने अनुशासन से आर्मी में आकर साबित कर दिया कि शौर्य और कठोर परिश्रम से बड़े रैंक तक पहुँचा जा सकता है। उनका परिवार कहता है कि डीआरडीओ साइंटिस्ट बनने का सपना था, पर पहली कोशिश में ही आर्मी में चुनी गईं। ये बात हर उस महिला को प्रेरित करती है जो सोचती है कि उनके बैकग्राउंड में कमी है।
युवा संकल्प: कर्नल कुरैशी खुद कहती हैं, “यदि मुमकिन हो तो इंडियन आर्मी जॉइन करो।” उनका यह अपील युवा महिलाओं को देश सेवा के लिए जागरूक करता है। जब कोई आर्मी की सीनियर अफसर खुद इतना सादा अनुरोध करे, तो उसका असर हर दिल पर पड़ता है।
शिक्षा से सेना तक: उनका सफर अकैडेमिया से लेकर बैटलफील्ड तक हर छात्र के लिए उदाहरण है। महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी (बड़ौदा) ने खुद उनको “प्रेरणा का स्रोत” बताया है। इससे पता चलता है कि सही शिक्षा और संस्कार से हर युवा महिला अपने सपने को साकार कर सकती है।
रोल मॉडल: कर्नल कुरैशी (Sofia Qureshi) हमारे इंडियन मिलिट्री इंस्पिरेशनल वूमन की मिसाल हैं। उनकी कहानी हमारी महिलाओं को यह संदेश देती है कि हर एक को अपने क्षेत्र में ऊँची मेहनत और निष्ठा दिखाकर देश सेवा करनी चाहिए। उनका दृष्टिकोण ये दर्शाता है कि जब मौका मिले तो महिलाएँ भी शौर्य और प्रतिभा से हर चुनौती पर विजय पा सकती हैं।
इंडियन आर्मी में बदलाव
आज की तारीख में भारतीय सेना में महिलाओं के लिए कई बड़े बदलाव हो रहे हैं। सरकार ने कई कदम उठाए हैं जिससे Women in Army India को नए अधिकार मिल रहे हैं:
परमानेंट कमीशन: सरकार ने बताया है कि अब महिला अफसरों को आर्मी के 12 अन्य आर्म्स और ब्रांचेज (Army Medical, Dental, Nursing के अलावा) में परमानेंट कमीशन दी जा रही है। इससे Indian Army Women Officers अपने करियर को लंबे समय तक चला सकती हैं और बड़ी से बड़ी पदवी तक जा सकती हैं।
कमांड अवसर: अब महिला अफसरों को कर्नल (सेलेक्ट ग्रेड) रैंक और अन्य कमांड पोस्टिंग्स के लिए कंसीडर किया जा रहा है। कुछ रूल्स को अडजस्ट करके यह सुनिश्चित किया गया है कि उनका करियर ग्रोथ स्मूद रहे। ये बदलाव उनके नेतृत्व के कदम को आगे बढ़ाने में मददगार है।
एनडीए और अग्निवीर: आर्म्ड फोर्सेस ने 2022 से नेशनल डिफेंस अकैडमी (NDA) में महिला कैडेट्स की ट्रेनिंग शुरू की है। अग्निवीर स्कीम में भी अब महिलाओं की भर्ती चल रही है। ये सभी प्रक्रियाएं भारतीय सेना में महिलाओं के प्रति बढ़ता हुआ समर्थन दिखाती हैं।
जेंडर इक्वालिटी: ये सारे बदलाव कर्नल कुरैशी जैसी अफसरों के आने की वजह से संभव हो पा रहे हैं। उनके प्रभाव से साबित होता है कि इंडियन आर्मी लीडरशिप में जेंडर कोई बंधन नहीं है; सभी को बराबर अवसर मिलते हैं। महिलाएँ अब पुरुषों के बराबर स्ट्रैटेजिक डिसीजन ले रही हैं, जिससे पूरे भारत को फायदा है।
कर्नल सोफिया कुरैशी की कहानी से यह साफ़ है कि देश की सुरक्षा और इंडियन आर्मी लीडरशिप में महिलाएं किसी से कम नहीं हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उनका निडर नेतृत्व और देशभक्ति भारतीय युवा महिलाओं के लिए एक मिसाल बन गया है। उन्होंने दिखाया कि जेंडर कोई बंधन नहीं है; जब मौका मिलता है तो महिला ऑफिसर्स भी पुरुषों की तरह महत्वपूर्ण मिशनों और निर्णय लेने की प्रक्रिया में बराबर हिस्सेदारी से देश की रक्षा कर सकती हैं। यह कर्नल कुरैशी जैसे उदाहरण हमारी सेना में यह दर्शाते हैं कि महिलाएं पुरुषों के बराबर योगदान दे सकती हैं। ऐसे इंडियन मिलिट्री इंस्पिरेशनल वूमन के कदम हमारी युवा महिलाओं के लिए आशा की किरण हैं, क्योंकि ये साबित करते हैं कि देश की रक्षा में हर योगदान का महत्व बराबर है। उनकी डेडिकेशन और हिम्मत से पता चलता है कि जब मौका मिलता है, महिलाएं अपने पराक्रम और प्रतिभा से हर चुनौती को पार कर सकती हैं। अगर हमारी युवा महिलाएं इन ऑफिसर्स से प्रेरणा लेकर अपनी मेहनत और दृढ़ता को और मज़बूत बनाती हैं, तो भारत की सुरक्षा और भविष्य दोनों और मजबूत होंगे।