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Pakistan Nuclear Radiation Leak: सच या खतरा? जानें पूरी सच्चाई और पड़ताल

Pakistan nuclear radiation leak alert near Kirana Hills – hazmat suit figure, warning sign, and map of Pakistan in dark background

किराना हिल्स, पाकिस्तान में संभावित परमाणु विकिरण रिसाव की अफवाहों पर आधारित चेतावनी संकेत, नक्शा और सुरक्षा टीम की प्रतीकात्मक छवि।

हाल ही में सोशल मीडिया और कुछ ख़बरों में “Pakistan nuclear radiation leak” (पाकिस्तान में परमाणु विकिरण रिसाव) की अफवाह तेज़ी से फैल गई। दावा किया गया कि पाकिस्तान के एक परमाणु स्थल पर विकिरण का ख़तरनाक रिसाव हुआ है, जिससे आसपास के इलाकों को ख़ाली कराया जा रहा है। इस खबर ने आम जनता में चिंता और ख़ौफ़ पैदा कर दिया। लेकिन क्या वाकई पाकिस्तान में कोई परमाणु विकिरण रिसाव की घटना हुई है? आइए, विश्वसनीय सूत्रों, आधिकारिक बयानों और मीडिया रिपोर्टों के आधार पर इस दावे की गहराई से जांच करें और जानें कि हकीकत में सच क्या है?

भारत-पाकिस्तान सैन्य तनाव के दौरान सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के किरणा हिल्स इलाके में परमाणु विकिरण रिसाव की अफवाह उड़ी। कुछ पोस्ट में दावा हुआ कि भारतीय हमले से वहां रेडिएशन लीक हुआ है और आसपास के गांवों को खाली कराया जा रहा है। जबकि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने जांच के बाद साफ कहा कि “पाकिस्तान के किसी भी परमाणु संस्थान से कोई विकिरण रिसाव या घटना दर्ज नहीं की गई है।”

यह पुष्टि IAEA ने BBC उर्दू और अन्य मीडिया को दी, जिससे अफवाह बेबुनियाद साबित हुई। भारतीय वायु सेना (IAF) ने स्पष्ट किया कि उसके हमलों में किसी भी पाकिस्तानी न्यूक्लियर फैसिलिटी को निशाना नहीं बनाया गया। वहीं, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय और सेना ने इस अफवाह को “भ्रामक और गैरज़िम्मेदाराना” बताया। पाकिस्तान ने कहा कि उसके परमाणु हथियार बिल्कुल सुरक्षित हैं और भारत द्वारा फैलाए जा रहे दावे निराधार हैं।

प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय व भारतीय मीडिया (BBC, रायटर्स, अल जज़ीरा, डॉन, इंडिया टुडे आदि) ने इस खबर की सत्यता की पड़ताल की। ज़्यादातर ने IAEA के हवाले से बताया कि कोई विकिरण रिसाव नहीं हुआ, तथा इसे सोशल मीडिया की अटकलें करार दिया। पाकिस्तानी मीडिया ने इस “radiation leak” वाली ख़बर को भारतीय स्रोतों की अफवाह बताकर खारिज किया और अंतरराष्ट्रीय संस्था की पुष्टि को उजागर किया।

सभी विश्वसनीय स्रोतों और अधिकारियों की मानें तो “Pakistan nuclear radiation leak” की खबर झूठी साबित होती है। किसी भी आधिकारिक एजेंसी या अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक ने ऐसा कोई हादसा दर्ज नहीं किया। यह पूरी कहानी एक वायरल अफवाह मात्र थी, जो मौजूदा तनाव भरे माहौल में फैली। नीचे विस्तार से पढ़ें कि यह अफवाह कैसे शुरू हुई, घटनाक्रम क्या रहा, और आखिरकार सच्चाई क्या निकली।

Pakistan nuclear radiation leak अफवाह कैसे शुरू हुई?

अफवाह का केंद्र बना किराना हिल्स, जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सरगोधा के पास स्थित एक दूरदराज़ पहाड़ी इलाका है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार किरणा हिल्स पाकिस्तान के प्रारंभिक परमाणु कार्यक्रम से जुड़े रहे हैं। 1980 के दशक में वहाँ गुप्त “कोल्ड टेस्ट” (परमाणु वारहेड डिज़ाइन के सबक्रिटिकल परीक्षण) किए गए थे, जिस कारण किरणा हिल्स को पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के भंडारण स्थल के रूप में जाना जाता है।

यह इलाका कई भूमिगत सुरंगों व क़िलेनुमा सुरक्षा के लिए मशहूर है, जहाँ माना जाता है कि परमाणु हथियार रखे जाते हैं। इस ऐतिहासिक संदर्भ के चलते अगर वहाँ कोई हलचल हो, तो अटकलें लगना स्वाभाविक है।

मई 2025 की शुरुआत में भारत और पाकिस्तान के बीच गंभीर सैन्य झड़प हुई, जिससे उपमहाद्वीप में तनाव चरम पर था। इसी दौरान सोशल मीडिया (खासकर X, पूर्व नाम ट्विटर) पर अचानक कुछ चौंकाने वाले दावे उभरने लगे। कई यूज़रों ने पोस्ट करना शुरू किया कि सरगोधा के निकट किरणा हिल्स क्षेत्र में शायद कोई मिसाइल हमला हुआ है, जिससे रेडियोधर्मी विकिरण फैल रहा है।

कुछ पोस्ट में स्थानीय निवासियों के वीडियो बताए गए जिनमें खाली घर और इलाके में धुआं दिखाकर यह कहा गया कि सेना आस-पास के गाँवों को आपातकाल में खाली करवा रही है और शायद लोग विकिरण से प्रभावित हो रहे हैं। इन बेबुनियाद दावों ने इंटरनेट पर सनसनी फैला दी।

भारतीय हमला और Kirana Hills:

7 मई 2025 को भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” नाम से पाकिस्तान में कई ठिकानों पर हवाई हमले किए। भारत का कहना था कि यह कार्रवाई 22 अप्रैल को कश्मीर में हुए आतंकी हमले (जिसमें 26 लोग मारे गए) के जवाब में की गई थी। 7 से 10 मई तक दोनों देशों में लड़ाई चली, जो दशकों में सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष बताया गया।

भारतीय वायु सेना ने सरगोधा स्थित पाकिस्तानी वायुसेना अड्डे मुषाफ एयरबेस सहित पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान में कई लक्ष्यों पर बमबारी की। सरगोधा का यह एयरबेस किरणा हिल्स से मात्र लगभग 20 किलोमीटर दूर है। पाकिस्तानी मीडिया ‘डॉन’ की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय हमले में कुछ ड्रोन भी शामिल थे, जिनमें से एक ड्रोन सरगोधा के किरणा हिल्स इलाके में आकर गिरा।

यह घटना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी और लोगों ने अंदाज़ा लगाना शुरू कर दिया कि कहीं भारत ने जानबूझकर किरणा हिल्स (जहां परमाणु हथियार हो सकते हैं) को तो निशाना नहीं बनाया? ड्रोन के उसी क्षेत्र में गिरने से अफवाह को बल मिला कि वहां कोई बड़ा हादसा हुआ है।

भूकंप और धमाकों की अफवाह:

मई की शुरुआत में पाकिस्तान में कुछ भूकंप के झटके भी महसूस किए गए — जैसे 10 मई को 4.0 तीव्रता का और 12 मई को 4.6 तीव्रता का भूकंप। हालांकि ये प्राकृतिक भूगर्भीय गतिविधियाँ थीं, कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में इन्हें किरणा हिल्स में हुए “रहस्यमयी विस्फोट” से जोड़कर देखा गया।

दावा किया गया कि शायद परमाणु विस्फोट या मिसाइल हमले से यह कृत्रिम भूकंप हुए हैं। मगर भू-विज्ञान विशेषज्ञों ने इन दावों को खारिज कर दिया है — प्राप्त सिस्मिक डेटा पूरी तरह टेक्टॉनिक प्लेटों की गतिविधि से मेल खाता है, न कि किसी परमाणु धमाके से।

अमेरिकी विमान की उड़ान:

सबसे ज़्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि उन्हीं दिनों फ्लाइट-ट्रैकिंग करने वाले कुछ OSINT अकाउंट्स ने एक ख़ास अमेरिकी विमान को पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में उड़ते हुए देखा। यह US Department of Energy का Beechcraft B-350 Aerial Measuring System (AMS) विमान था, जिसकी उड़ान का ट्रैक नंबर N111SZ दिखाया गया।

यह विमान उच्च तकनीक वाले सेंसरों से लैस होता है और परमाणु दुर्घटना की स्थिति में वातावरण में रेडियोधर्मी पदार्थ डिटेक्ट करने के काम आता है (इसे आम बोलचाल में “न्यूक्लियर स्निफर” कहा जाता है)। रिपोर्टों के अनुसार, यही विमान फुकुशिमा परमाणु आपदा के बाद रेडिएशन मॉनिटरिंग के लिए इस्तेमाल किया गया था।

अचानक इस तरह के विमान की पाकिस्तान में मौजूदगी ने सबको चौंका दिया और अफवाहों को और तेज़ कर दिया। सवाल उठने लगे कि क्या वाकई कोई विकिरण रिसाव हुआ है जिसकी जांच के लिए अमेरिका को दखल देना पड़ा?

बाद में कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि यह वही विमान है जो अमेरिका ने 2010 में पाकिस्तान को दे दिया था। अर्थात हो सकता है कि यह पाकिस्तान की अपनी टीम द्वारा एहतियातन सर्वेक्षण भर हो। लेकिन सोशल मीडिया पर इसने आग में घी का काम किया – लोगों ने मान लिया कि “कुछ तो गड़बड़ है”।

मिस्र से आई ‘बोरॉन’ की खेप:

एक और हैरान करने वाली सूचना सोशल मीडिया पर फैली — यह कि एक मिस्री (ईजिप्टियन) वायुसेना का बड़ा परिवहन विमान पाकिस्तान के मरी एयरबेस पर लैंड हुआ।

कहा गया कि वह विमान बोरॉन लेकर आया, जो रेडियोधर्मिता को दबाने के लिए इस्तेमाल होने वाला रसायन है। हालाँकि इस दावे की कोई स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई, लेकिन इसने कहानी को और रहस्यपूर्ण बना दिया।

इन सारी घटनाओं/संयोगों ने मिलकर “किराना हिल्स में परमाणु हादसा” वाली थ्योरी को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। अनौपचारिक रक्षा विश्लेषक, सैटेलाइट तस्वीरें देखने वाले शौकीन (OSINT विश्लेषक) और कुछ यूट्यूब/वेबसाइटों ने भी इस पर चर्चाएं शुरू कर दीं। देखते ही देखते “Pakistan nuclear radiation leak” एक हॉट टॉपिक बन गया।

घटनाक्रम व टाइमलाइन

इस अफवाह से जुड़े घटनाक्रम को समयक्रम में समझना ज़रूरी है, ताकि पता चले कि किस समय क्या हुआ और किसके बाद क्या अफवाह उड़ी:

22 अप्रैल 2025: भारत के जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में आतंकवादी हमला हुआ, जिसमें 26 लोग (ज्यादातर भारतीय पर्यटक) मारे गए। भारत ने आरोप लगाया कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान-समर्थित आतंकवादी थे, जबकि पाकिस्तान ने इनकार करते हुए स्वतंत्र जाँच की मांग की। इस घटना ने दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा दिया।

7 मई 2025: तनाव चरम पर पहुँचने के बाद भारतीय वायुसेना ने तड़के “ऑपरेशन सिंदूर” चलाया और पाकिस्तान एवं पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कई ठिकानों पर एक साथ हवाई हमले किए। भारत ने दावा किया कि उसने पाकिस्तान में 9 आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया, वहीं पाकिस्तान ने कहा कि भारत ने उसके कई सैन्य ठिकानों पर हमला किया है।

इन हमलों में रावलपिंडी (नूर खान एयरबेस), सरगोधा (मुषाफ एयरबेस) समेत पाकिस्तान के कई एयरबेस और सैन्य ठिकाने शामिल थे। सरगोधा का एयरबेस इसलिए संवेदनशील था क्योंकि वह किरणा हिल्स (परमाणु भंडारण के क़रीब) के नज़दीक है। इस दिन के हमलों के बाद दोनों देशों में युद्ध जैसे हालात बन गए।

8–9 मई 2025: भारत-पाकिस्तान में संघर्ष तेज़ हो गया। दोनों ओर से सीमा पर गोलाबारी, रॉकेट एवं ड्रोन हमले हुए। भारत ने दावा किया कि उसके हमलों में 100 के करीब आतंकवादी और लगभग 35-40 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए, जबकि पाकिस्तान ने कहा कि भारतीय हमलों से उसके 11 सैनिक और 40 आम नागरिक मारे गए। दोनों तरफ़ से एक-दूसरे के लड़ाकू विमान मार गिराने के दावे भी हुए, यहां तक कि 100 से ज़्यादा विमानों की अभूतपूर्व हवाई झड़प तक हुई। इस उन्मादपूर्ण माहौल ने दोनों परमाणु-शक्तियों को युद्ध के कगार पर पहुँचा दिया था।

10 मई 2025: अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते दोनों देश एक अचानक युद्धविराम पर राज़ी हो गए। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से शनिवार दोपहर युद्धविराम (सीज़फ़ायर) की घोषणा हुई। कुल मिलाकर यह संघर्ष लगभग चार दिन चला और दोनों ओर काफी जनहानि हुई।

इसी दौरान (लगभग 7–10 मई के बीच) से सोशल मीडिया पर किरणा हिल्स में हुए कथित “न्यूक्लियर रिसाव” की अफवाहें पनपना शुरू हो चुकी थीं। युद्धविराम के बाद तो इन अफवाहों को और बल मिला, क्योंकि कई लोग मान रहे थे कि भारत ने पाकिस्तान को भारी नुक़सान पहुंचाया है जिसकी सच्चाई पाक सरकार छिपा रही है।

10–12 मई 2025: इन्हीं दिनों ट्विटर/X पर कई अकाउंट्स ने किरणा हिल्स से जुड़े “ख़ुफ़िया” दावे करना जारी रखा। कोई नक़्शे व सेटेलाइट तस्वीरें पोस्ट कर रहा था तो कोई स्थानीय स्रोतों के हवाले से ख़बर। 10 मई को आए एक हल्के भूकंप को भी इस कथित धमाके से जोड़ा जाने लगा। OSINT समुदाय में भी उत्सुकता थी कि क्या वाकई कुछ हुआ है। इस बीच पाकिस्तान से अमरीकी विशेष विमान की उड़ान और मिस्री विमान आने की खबरें भी अफवाहों संग जुड़ गईं, जिन्हें हमने ऊपर विस्तार से कवर किया है।

12 मई 2025: भारत सरकार की ओर से पहली बार इन दावों पर प्रतिक्रिया आई। 12 मई को नई दिल्ली में एक प्रेस ब्रीफ़िंग के दौरान भारतीय वायुसेना के एयर मार्शल ए.के. भारती (डायरेक्टर जनरल ऑफ़ एयर ऑपरेशंस) से जब पूछा गया कि क्या भारत ने वाक़ई पाकिस्तान के किरणा हिल्स स्थित परमाणु ठिकाने पर हमला किया था, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया – “धन्यवाद, आपने हमें बताया कि किरणा हिल्स में कोई न्यूक्लियर इंस्टॉलेशन है, हमें तो इसका पता ही नहीं था। लेकिन स्पष्ट कर दूँ, हमने किरणा हिल्स को निशाना नहीं बनाया, चाहे वहाँ कुछ भी हो या ना हो।”

भारती के इस बयान ने भारतीय हमले से किसी nuclear site के क्षतिग्रस्त होने की खबर का खंडन कर दिया। यह बयान समाचार चैनलों और सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में रहा, और इससे काफी हद तक तस्वीर साफ़ हुई कि भारत आधिकारिक रूप से ऐसे किसी हमले से इनकार कर रहा है।

13 मई 2025: इंडियन एयर फ़ोर्स के इनकार और पाकिस्तानी पक्ष की चुप्पी के बीच भी सोशल मीडिया पर कयास जारी थे। इसी दिन कुछ अंतरराष्ट्रीय निगरानी एजेंसियों का ध्यान इस ओर गया। अगर कहीं सचमुच कोई रेडियोधर्मी रिसाव हुआ होता तो अब तक उसके संकेत पड़ोसी देशों या सेटेलाइट से पता चल सकते थे। लेकिन ऐसी कोई पुष्टि नहीं मिली।

फिर भी वैश्विक चिंता को देखते हुए निगरानी तेज़ कर दी गई थी। इसी दिन शाम को भारतीय समाचार वेबसाइट Economic Times ने एक विस्तृत रिपोर्ट छापी जिसका शीर्षक था: “Nuclear leak whispers around Pakistan’s Kirana Hills grow louder — But IAF dismisses claims” (किराना हिल्स में परमाणु रिसाव की सरगोशियां तेज, लेकिन भारतीय वायुसेना ने दावे खारिज किए)।

इस रिपोर्ट ने ऑनलाइन चल रहीं तमाम अटकलों को समेटा और बताया कि कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है, सिर्फ सोशल मीडिया की बातें हैं। इसमें अमेरिकी विमान, मिस्री विमान, Derek Grossman (एक पूर्व CIA व RAND विश्लेषक) के दावे, आदि सबका ज़िक्र था। यानी मेनस्ट्रीम मीडिया भी अब इस कहानी को संज्ञान में लेकर तथ्यों की पड़ताल में लग चुकी थी।

15 मई 2025: इस दिन मामला औपचारिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साफ़ हुआ। वियना स्थित संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था IAEA (International Atomic Energy Agency) ने स्पष्ट बयान जारी किया कि “पाकिस्तान में किसी भी परमाणु सुविधा से कोई विकिरण रिसाव या रेडियोएक्टिव लीकेज दर्ज नहीं की गई है।” IAEA ने यह प्रतिक्रिया भारतीय अख़बार Indian Express और BBC उर्दू की ओर से पूछे गए प्रश्न पर दी। IAEA के प्रवक्ता ने कहा कि उनके पास उपलब्ध सभी सूचनाओं के आधार पर पाकिस्तान में किसी भी न्यूक्लियर साइट से विकिरण का कोई असामान्य उत्सर्जन नहीं पाया गया।

यह बयान आते ही अफवाह पर लगभग विराम लग गया, क्योंकि दुनिया की सबसे भरोसेमंद परमाणु एजेंसी खुद स्थिति पर निगाह रखे हुए थी और उसने ऐसी किसी घटना से इनकार किया था। इसी दिन, India Today ने IAEA के स्पोक्सपर्सन फ्रेडरिक डाह्ल का बयान प्रकाशित किया जिसमें उन्होने पुनः पुष्टि की – “हॉस्टिलिटीज़ के दौरान पाकिस्तान की किसी परमाणु फैसिलिटी से कोई रेडिएशन लीक नहीं हुआ।” इसका अर्थ साफ था: जो कुछ भी कहा-सुना जा रहा था, वह निराधार है।

15 मई 2025 (राजनीतिक बयानबाज़ी): इसी दिन एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ जिसने सुर्खियाँ बनाईं, हालांकि वह सीधे इस रिसाव की अफवाह से नहीं बल्कि व्यापक परमाणु सुरक्षा से जुड़ा था। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) में सैनिकों को संबोधित करते हुए पाकिस्तान पर परमाणु हथियारों की असुरक्षित हैंडलिंग का आरोप लगाया।

सिंह ने कहा – “क्या ऐसे गैर-जिम्मेदार और दुष्ट राष्ट्र के हाथों में परमाणु हथियार सुरक्षित हैं? मेरा मानना है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को IAEA की निगरानी में दे देना चाहिए।” उनकी इस तीखी टिप्पणी ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया।

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने तुरंत सिंह के बयान को “उकसावे भरा और पाकिस्तान के परमाणु प्रतिरोध की विश्वसनीयता को कमज़ोर करने की साज़िश” क़रार दिया। पाकिस्तान ने जवाबी आरोप लगाया कि “भारतीय मंत्री का बयान गैर-ज़िम्मेदाराना है और IAEA के कार्यक्षेत्र की अज्ञानता दर्शाता है।” दरअसल, पाकिस्तान ने पलटकर भारत में हुए कई परमाणु पदार्थों की चोरी/तस्करी की घटनाओं को गिनाया और कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उल्टा भारत की परमाणु सुरक्षा पर चिंता करनी चाहिए।

दोनों देशों में बयानबाज़ी चलती रही, लेकिन यह प्रकरण दिखाता है कि परमाणु हथियारों को लेकर कितनी संवेदनशीलता है। सिंह के बयान को भी कुछ लोगों ने भारत की “चिंता” के तौर पर देखा कि कहीं पाकिस्तान में सचमुच कुछ गड़बड़ (जैसे रिसाव) तो नहीं हुआ – हालांकि भारत ने आधिकारिक तौर पर ऐसी कोई सीधी संदर्भ नहीं दिया था।

16 मई 2025: पाकिस्तानी मीडिया में इस पूरे मामले पर अंतिम मोहर लगी। प्रमुख अंग्रेज़ी दैनिक एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने खबर प्रकाशित की: “IAEA refutes Indian media reports of radiation leak in Pakistan”। इसमें IAEA की उपरोक्त पुष्टि को उद्धृत करते हुए बताया गया कि भारतीय मीडिया के कुछ हिस्सों में किरणा हिल्स पर हमले और विकिरण लीक की जो अफवाह उड़ी थी, IAEA ने उसे सिरे से खारिज कर दिया है।

साथ ही Tribune ने भारतीय एयर मार्शल के बयान को दोहराया कि “हमने किरणा हिल्स को निशाना नहीं बनाया”, और राजनाथ सिंह-वाले बयान पर पाकिस्तान के कड़े प्रतिक्रिया का भी जिक्र किया। कुल मिलाकर, 16 मई तक आते-आते अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, भारत-पाकिस्तान सरकारों और ज़िम्मेदार मीडिया सबने स्पष्ट कर दिया कि किराना हिल्स या पाकिस्तान के किसी परमाणु ठिकाने पर कोई ‘रेडिएशन लीक’ की घटना नहीं हुई।

Pakistan nuclear radiation leak पर सरकारी एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ

अब तक के घटनाक्रम में हमने देखा कि भारत और पाकिस्तान दोनों की सरकारों/सेनाओं ने अलग-अलग मौकों पर इस मुद्दे पर बयान दिए, और IAEA व अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ भी आईं। आइए, इन्हें क्रम से संक्षेप में देखते हैं:

भारतीय पक्ष की प्रतिक्रिया

वायुसेना का खंडन: भारतीय वायुसेना ने शुरुआत में ही इन दावों को खारिज कर दिया था। 12 मई की प्रेस वार्ता में IAF के एयर मार्शल ए.के. भारती ने साफ इनकार किया कि भारत ने पाकिस्तान के किसी भी न्यूक्लियर इंस्टॉलेशन को टारगेट किया है। किरणा हिल्स का ज़िक्र छेड़ने पर उनका उपहासपूर्ण जवाब (जो पहले बताया) इस अफवाह के विरुद्ध भारत का आधिकारिक रुख था।

भारती के बयान से संदेश स्पष्ट था – भारत किसी परमाणु साइट पर हमला करने की न तो मंशा रखता था, न ऐसा कुछ किया गया। यह भी उल्लेखनीय है कि भारती ने किरणा हिल्स में परमाणु प्रतिष्ठान होने की जानकारी से भी अनभिज्ञता जताई (शायद व्यंग्य में), जिसका मतलब था भारत इस इलाके को निशाना बनाने का सोच भी नहीं रहा था।

राजनीतिक बयान: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 15 मई को जो बयान दिया वह सीधे-सीधे रिसाव की अफवाह पर टिप्पणी नहीं थी, लेकिन उसका संदर्भ इसी प्रकरण से जुड़ा था। सिंह का यह कहना कि “पाकिस्तान के परमाणु हथियार IAEA की निगरानी में दे देने चाहिए” और पाकिस्तान को “rogue nation” (दुष्ट राष्ट्र) कहना, भारत की ओर से एक कड़ा संदेश था।

इसे पाकिस्तान पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश भी समझा गया, क्योंकि भारत ने युद्धविराम के बाद कूटनीतिक बढ़त लेने की कोशिश की। ज़ाहिर है, परमाणु रिसाव की अफवाहों ने भारतीय पक्ष को भी सतर्क किया होगा, लेकिन सार्वजनिक तौर पर भारत ने ऐसा कुछ स्वीकार नहीं किया कि कोई हादसा हुआ है। सिंह के बयान को पाकिस्तान ने झूठी अफवाहों को हवा देने वाला बताते हुए खारिज किया।

भारतीय मीडिया और संस्थान: भारत में सरकारी या सेना के सूत्रों ने कहीं भी किसी रेडिएशन लीक की पुष्टि नहीं की। न ही भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग या पर्यावरण मंत्रालय ने ऐसी कोई अलर्ट जारी की। यदि पाकिस्तान में सचमुच विकिरण फैलता तो पड़ोसी भारत में रेडियोएक्टिविटी डिटेक्ट करने वाली एजेंसियाँ तुरंत सक्रिय हो जातीं। लेकिन ऐसा कुछ रिपोर्ट नहीं किया गया।

उल्टे, भारतीय न्यूज़ चैनलों/वेबसाइट्स ने भी IAEA की पुष्टि के बाद इन अफवाहों को गलत ठहराया। उदाहरण के लिए, इंडिया टुडे ने 15 मई को अपने विस्तृत लेख में IAEA के हवाले से साफ लिखा कि पाकिस्तान में किसी भी परमाणु संयंत्र से रेडिएशन लीक नहीं हुआ है और किरणा हिल्स में लीक की अटकलें सोशल मीडिया की उपज हैं।

Pakistan nuclear radiation leak पर पाकिस्तानी पक्ष की प्रतिक्रिया

सरकारी बयान: शुरुआत में पाकिस्तान सरकार की ओर से सीधे इस “विकिरण आपातकाल” पर कोई बयान नहीं आया था, शायद इसलिए कि उनके मुताबिक ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं थी। पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग (PAEC) अथवा नेशनल कमांड अथॉरिटी की ओर से भी कोई आपातकालीन चेतावनी या प्रेस रिलीज़ जारी नहीं हुई।

यह ख़ुद दर्शाता है कि जमीनी हकीकत में सब सामान्य था – अगर सच में कोई रिसाव होता, तो पाकिस्तानी एजेंसियाँ सबसे पहले अलर्ट जारी करतीं। बल्कि पाकिस्तान की एविएशन अथॉरिटी ने स्पष्ट किया कि कराची, लाहौर जैसे हवाई अड्डों को बंद करने का 48 घंटे का आदेश सिर्फ सैन्य तनाव के कारण था, न कि किसी विकिरण खतरे के कारण।

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भी 15-16 मई को बयान निकाला, मगर वह राजनाथ सिंह की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सिंह के बयान को “भड़काऊ और गैर-ज़िम्मेदाराना” क़रार दिया और कहा कि “IAEA जैसे संस्थान के अधिकार-क्षेत्र की उनको समझ नहीं”। पाकिस्तान ने भरोसा दिलाया कि “हमारे परमाणु हथियार पूरी तरह महफ़ूज़ हैं और हम अपने प्रतिरोध (deterrence) को बनाए रखने के लिए परमाणु ब्लैकमेल का सहारा नहीं लेते, जैसा भारत करता है” – यह स्पष्ट शब्दों में पाकिस्तानी बयान था।

सेना/ISPR की प्रतिक्रिया: पाकिस्तान सेना के सूचना विभाग ISPR ने भी इशारों-इशारों में इन अफवाहों को खारिज किया। 16 मई को पाक सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अहद शरीफ़ चौधरी ने विदेशी मीडिया (Sky News) को साक्षात्कार में कहा कि “भारत-पाक के बीच किसी भी बड़े संघर्ष का अंजाम विनाशकारी होगा… दुनिया इस परमाणु खतरे को समझ रही है और कोई समझदार देश (जैसे USA) इस मूर्खता को नहीं दोहराने देगा”।

उन्होंने भारत को चेतावनी दी कि अगर वो सोचते हैं कि परमाणु शक्ति के होते किसी युद्ध के लिए स्पेस निकाल लेंगे, तो ये “परस्पर विनाश” को आमंत्रित करने जैसा होगा। ये बयान इस बात का संकेत थे कि पाकिस्तान अपनी परमाणु रेड लाइनों को लेकर गंभीर है, पर साथ ही यह भी जताने की कोशिश कि भारत अफवाहें फैला कर दबाव बना रहा है। सीधे तौर पर ISPR या सरकार ने “कोई रेडिएशन लीक नहीं हुआ” ऐसा शब्द नहीं कहा (शायद वो इस अफवाह को तूल नहीं देना चाहते थे), मगर उनका पूरा रवैया यही दर्शा रहा था कि मामला गढ़ा हुआ है।

स्थानीय प्रशासन: किरणा हिल्स जिस सरगोधा जिले में है, वहाँ की सिविल प्रशासन या प्रांतीय सरकार ने भी ऐसी कोई इमरजेंसी अनाउंस नहीं की। आसपास के गांवों के खाली कराए जाने की खबरें भी सिर्फ सोशल मीडिया पर थीं – ग्राउंड रिपोर्ट में कोई वास्तविक निकासी (evacuation) दर्ज नहीं हुई। अगर सच में विकिरण फैलता तो क्षेत्र को सील करके सार्वजनिक चेतावनियाँ दी जातीं, लेकिन स्थानीय मीडिया/अखबारों में ऐसा कुछ नहीं आया।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया (IAEA व अन्य)

IAEA की पुष्टि: अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) इस पूरे मामले में सबसे अहम स्रोत रही। जैसे ही अफवाहों ने ज़ोर पकड़ा, भारतीय मीडिया ने IAEA से संपर्क कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा। IAEA ने 15 मई को साफ शब्दों में कहा कि “उपलब्ध जानकारी के आधार पर, पाकिस्तान में किसी भी न्यूक्लियर फैसिलिटी से कोई रेडियोधर्मी लीकेज या रिसाव नहीं हुआ है”। उन्होंने यह भी जोड़ा कि IAEA का इंसिडेंट एंड इमरजेंसी सेंटर ऐसी किसी घटना पर नज़र रखता है और कहीं भी कोई संकेत मिलता, तो तत्काल कार्रवाई होती।

IAEA के इस स्टेटमेंट ने अफवाह की हवा निकाल दी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आश्वस्त किया कि सब ठीक है। संयुक्त राष्ट्र में भी अनौपचारिक रूप से यह संदेश क्लियर था कि पाकिस्तान में कोई परमाणु दुर्घटना नहीं हुई। अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: अमेरिकी सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की गई सिवाय इसके कि “हम इस मामले पर कुछ भी अनुमान नहीं लगाना चाहते” (एक प्रेस ब्रीफ़िंग में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा “I have nothing to preview on that at this time” यानी अभी इसपर कहने को कुछ नहीं)।

संभवतः अमेरिका ने पर्दे के पीछे से यह सुनिश्चित किया होगा कि अगर कोई समस्या हो भी तो उसे काबू कर लिया जाए – ऐसा कूटनीतिक जानकारों का मानना है। इसी तरह अन्य वैश्विक शक्तियों (जैसे चीन, रूस) ने भी कोई बयान जारी नहीं किया, जिससे यह संकेत मिला कि किसी को भी वास्तव में कोई रेडिएशन रिसाव की पुख्ता ख़बर नहीं थी। विश्लेषकों की राय: अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के कई विशेषज्ञों ने इन घटनाओं का विश्लेषण किया।

RAND कॉर्पोरेशन के विश्लेषक और पूर्व CIA अधिकारी डेरिक ग्रॉसमैन ने कहा कि “भारत के हमले ने पाकिस्तान के परमाणु कमांड को खतरा पहुंचाया और एक रेडियोएक्टिव लीकेज का कारण बना”, लेकिन उनके इस बयान की न तो भारत, न ही अमेरिका ने पुष्टि की। कुछ विश्लेषकों ने इसे ग्रॉसमैन की निजी राय या अटकलबाज़ी बताया।

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी के हवाले से कहा गया कि पाकिस्तान को सबसे बड़ा डर अपने परमाणु कमांड पर हमले का ही होता है, और शायद भारत ने नूर खान एयरबेस पर हमला करके यह संदेश देने की कोशिश की कि “ज़रूरत पड़ी तो हम तुम्हारे परमाणु तंत्र को भी निशाना बना सकते हैं”। लेकिन यह भी अनुमान मात्र था – किसी ठोस रेडियोधर्मी जोखिम की पुष्टि फिर भी नहीं हुई।

कुल मिलाकर, गंभीर विशेषज्ञों ने सोशल मीडिया वाली radiation leak की कहानियों पर भरोसा नहीं किया और इसे गलत सूचना (misinformation) माना।

मीडिया कवरेज और फ़ेक न्यूज़ की पड़ताल

भारतीय मीडिया में: इस कहानी को भारतीय मीडिया में काफी तवज्जो मिली, लेकिन अधिकतर एक फ़ैक्ट-चेक अंदाज़ में। शुरुआत में कुछ सनसनीखेज़ शीर्षक ज़रूर आए जैसे “क्या पाकिस्तान के किराना हिल्स में हुआ परमाणु रिसाव?” लेकिन जल्द ही बड़े मीडिया हाउस ने सच्चाई सामने ला दी।

इंडिया टुडे, NDTV, द इंडियन एक्सप्रेस, हिंदुस्तान टाइम्स, टाइम्स ऑफ़ इंडिया आदि ने 15-16 मई तक स्पष्ट कर दिया कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी ने ऐसी किसी घटना से इनकार किया है। India Today ने तो IAEA प्रवक्ता से एक्सक्लूसिव बयान भी प्रकाशित किया। इंडियन एक्सप्रेस और स्क्रोल.इन ने खबर छापी – “पाकिस्तान के किसी परमाणु संस्थान में कोई विकिरण रिसाव नहीं हुआ है” – और बताया कि ये बयान सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं के संदर्भ में दिया गया। यानी भारतीय मुख्यधारा मीडिया ने जिम्मेदार रवैया अपनाते हुए अफवाह के बजाय सत्य पर जोर दिया।

हाँ, कुछ डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म या यूट्यूब चैनलों ने इसको लेकर सनसनी भी फैलाई। लेकिन वे ज़्यादातर गैर-विश्वसनीय स्रोत थे जो हर विवादित विषय में निकालते हैं। मुख्यधारा टीवी चैनलों ने इसपर ज्यादा समय बर्बाद नहीं किया क्योंकि उनके पास युद्ध कवरेज की व्यस्तता थी।

पाकिस्तानी मीडिया में: पाकिस्तान के मीडिया (विशेषकर अंग्रेजी अखबारों और न्यूज़ चैनलों) ने प्रारंभ में इस मुद्दे को छुआ भी नहीं, शायद इसलिए कि इसे दुश्मन की प्रोपगैंडा अफवाह माना गया। 7-10 मई के बीच पाकिस्तानी चैनल भारत के हमलों और अपने जवाबी कार्रवाई की खबरें दिखा रहे थे, उनमें कहीं भी किरणा हिल्स या रेडिएशन लीक का उल्लेख नहीं आया।

पहली बार Dawn अखबार ने 10 मई को खबर दी कि सरगोधा क्षेत्र में भारतीय ड्रोन गिरा है और कोई जनहानि नहीं हुई – लेकिन उन्होंने भी परमाणु या विकिरण का ज़िक्र नहीं किया। पाकिस्तानी मीडिया में यह विषय तब सामने आया जब भारतीय पक्ष से (IAF, Rajnath) बयान आए और IAEA का वेरिफिकेशन आया। Tribune और The News जैसे अखबारों ने 16 मई को इसे कवर किया, लेकिन बतौर फ़ेक न्यूज़ या भारत-पाक नोकझोंक के एक हिस्से के रूप में।

एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने IAEA के बयान को हेडलाइन बनाकर छापा कि IAEA ने पाकिस्तान में रेडिएशन लीक की भारतीय मीडिया रिपोर्ट को खारिज किया। इसमें इशारों-इशारों में बताया गया कि कुछ भारतीय स्रोतों ने गलत खबर उड़ाई थी जिसे अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने गलत साबित किया। पाकिस्तानी उर्दू मीडिया (जैसे BBC उर्दू, जंग) ने भी IAEA का बयान प्रमुखता से छापा।

कुल मिलाकर, पाकिस्तान में इसे भारत द्वारा दुष्प्रचार की कोशिश की तरह पेश किया गया और साथ में यह राहत भरी खबर भी जनता को दी गई कि कहीं कोई विकिरण का ख़तरा नहीं है।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में: वैश्विक स्तर पर इस किस्से को ज्यादा कवरेज नहीं मिली, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का फोकस दोनों देशों के बीच चल रही जंग पर था न कि एक अपुष्ट रिसाव पर। फिर भी, रायटर्स ने राजनाथ सिंह के बयान और IAEA की पुष्टि के साथ एक न्यूज़ रिलीज़ चलाई, जिसमें बताया गया कि दोनों देशों ने सबसे बड़े संघर्ष के बाद युद्धविराम किया है और भारत पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा पर सवाल उठा रहा है।

रायटर्स ने अपने लेख में IAEA के हवाले से साफ किया कि ये आशंकाएँ निराधार हैं और पाकिस्तान में कोई परमाणु घटना नहीं हुई।

BBC ने विशेषकर अपनी उर्दू सेवा में IAEA का बयान प्रसारित किया, ताकि अफवाह से उपजे ख़ौफ़ को रोका जा सके। Al Jazeera ने एक रिपोर्ट में भारत-पाकिस्तान द्वारा न्यूक्लियर वेपन्स की मिसमैनेजमेंट के आरोप-प्रत्यारोप पर चर्चा की।

अल जज़ीरा की रिपोर्ट का मुख्य फोकस भी यही था कि कैसे राजनाथ सिंह के बयान पर पाकिस्तान ने पलटवार करते हुए भारत पर परमाणु सुरक्षा में चूक के आरोप लगाए। इसमें सीधे किरणा हिल्स लीक की अफवाह का ज़िक्र तो नहीं था, लेकिन परोक्ष रूप से यही विवाद पृष्ठभूमि में था।

The Independent (UK) ने 15 मई को एक विस्तृत समाचार लिखा जिसमें इस पूरे घटनाक्रम को समेटा – संघर्ष, युद्धविराम, अफवाहें और IAEA का खंडन। इंडिपेंडेंट ने लिखा कि “सप्ताहांत में सीज़फ़ायर के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि भारत ने पाकिस्तान की न्यूक्लियर फैसिलिटीज़ के पास हमला किया, जिसे नई दिल्ली ने नकार दिया”, और उसके बाद IAEA ने पुष्टि कर दी कि कोई विकिरण लीक नहीं हुआ।

कुल मिलाकर, अंतरराष्ट्रीय प्रेस ने सनसनी से अधिक तथ्यपरक लहज़ा अपनाया और सरकारी/IAEA बयानों के आधार पर खबर दी। फ़ैक्ट-चेक और विशेषज्ञों की पड़ताल: इस अफवाह की सत्यता पर कई स्वतंत्र फैक्ट-चेकर्स और विशेषज्ञों ने भी लेख लिखे। सोशल मीडिया पर कई थ्रेड्स ने उपलब्ध भौगोलिक, सिस्मिक और तकनीकी आंकड़ों का विश्लेषण किया।

नेशनल सेंटर फ़ॉर सीस्मोलॉजी और वैश्विक भूकंपीय संस्थानों ने पुष्टि की कि मई 2025 में पाकिस्तान में दर्ज भूकंप पूरी तरह प्राकृतिक थे और उनके सिस्मिक वेव पैटर्न में कोई विसंगति नहीं थी। रेडिएशन मॉनीटरिंग की खुली स्रोत (Open Source) जानकारी से भी कहीं कोई इमरजेंसी सिग्नल नहीं मिला। दुनिया भर में कई स्थानों पर परमाणु विकिरण डिटेक्ट करने वाले स्वतन्त्र सेंसर होते हैं – किसी ने भी पाकिस्तान में बढ़े हुए रेडिएशन का अलार्म नहीं दिया। इन सारे तथ्यों को अध्यनन कर अंततः निष्कर्ष निकला कि यह पूरी कहानी एक अफ़वाह थी जिसका कोई वैज्ञानिक या ठोस सबूत नहीं था।

दावा बनाम हक़ीक़त (Rumor vs Reality)

ऊपर की जानकारी के आधार पर अब हम सीधे तुलना करते हैं कि इस मामले में क्या दावा (अफवाह) किया गया और वास्तव में सच्चाई क्या निकली:
दावा: “पाकिस्तान के किरणा हिल्स परमाणु साइट पर मिसाइल हमले से रेडियोधर्मी पदार्थ का रिसाव हुआ, जिससे आसपास के इलाकों में विकिरण फैल गया है।”

हक़ीक़त: IAEA की जाँच के अनुसार पाकिस्तान के किसी भी परमाणु केंद्र से कोई रेडिएशन लीक या रिसाव नहीं हुआ। भारत ने भी स्पष्ट किया कि किरणा हिल्स को उसने छुआ तक नहीं। अतः विकिरण फैलने का प्रश्न ही नहीं उठता। पाकिस्तान के परमाणु संयंत्र सामान्य रूप से क्रियाशील हैं और कहीं कोई दुर्घटना दर्ज नहीं की गई।

दावा: “सरगोधा/किराना हिल्स क्षेत्र के गाँवों में विकिरण से लोगों के बीमार होने की खबर है और पाक सेना गाँव खाली करा रही है।”

हक़ीक़त: सोशल मीडिया पर इस तरह के वीडियो/तस्वीरें बिल्कुल अपुष्ट हैं। पाकिस्तानी सरकार या स्थानीय प्रशासन की ओर से कहीं भी नागरिकों को निकालने का आदेश या विकिरण आपातकाल की घोषणा नहीं की गई। OSINT विश्लेषकों ने जिन “लक्षणों” की बात कही, वे भी स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं हुए। जमीन पर ऐसी कोई हरकत होती तो मीडिया व रेडियो पर घोषणा होती, जो कि नहीं हुई। यानी गाँव ख़ाली कराने की खबर झूठी है।

दावा: “भारतीय मिसाइल ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों वाले गुप्त ठिकाने (किराना हिल्स) को हिट किया, जिससे वहाँ धमाका/लीक हुआ।”

हक़ीक़त: भारत और पाकिस्तान – दोनों ने सर्वसम्मति से इस दावे को नकारा है। भारतीय वायुसेना ने कहा कि उनके हमले सरगोधा एयरबेस तक थे, किरणा को नहीं छुआ। पाक सेना ने भी पुष्टि की कि भारत के कुछ ड्रोन/मिसाइल सरगोधा क्षेत्र में गिरे जरूर, लेकिन पाकिस्तान के सभी परमाणु असेट्स सुरक्षित और अप्रभावित हैं (इसका संकेत DG ISPR के बयानों व पाक सरकार की चुप्पी से मिला)। अगर वास्तव में कोई परमाणु हथियारों का भंडार निशाना बनता, तो उसके गंभीर रणनीतिक परिणाम होते, जिसकी कोई सूचना नहीं है। लिहाज़ा यह दावा भी आधारहीन है।

दावा: “पाकिस्तान में रेडिएशन लीक हुआ है, इसीलिए अमेरिकी विशेष विमान और मिस्र से बोरॉन भेजा गया।”

हक़ीक़त: अमेरिकी B-350 विमान की उड़ान और मिस्री विमान की लैंडिंग हुई या नहीं, यह अंत तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो सका। मान लें हुए भी, तो ये एहतियाती कदम या नियमित अभ्यास हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जब इतनी बड़ी लड़ाई हुई, तो अमेरिका सहित कई देश इलाके की निगरानी कर रहे थे।

यह ज़रूरी नहीं कि वहाँ कुछ हुआ हो; ज़रूरी यह हो सकता है कि “कुछ हुआ तो हम पता लगा लें” – इसीलिए विमान ने चक्कर लगाया हो। मिस्र वाले दावे की पुष्टि बिलकुल नहीं है (सिर्फ कुछ सोशल मीडिया पोस्ट)। इसलिए इन घटनाओं को पक्का मान भी लें, तो वे सावधानी बताती हैं, ना कि इस बात का सबूत कि वाकई रिसाव हुआ था।

दावा: “अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी पाकिस्तानी विकिरण लीक की खबर दिखाई।”

हक़ीक़त: ये भी गलत है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी प्रमुख न्यूज़ चैनल/एजेंसी ने ये रिपोर्ट नहीं किया कि पाकिस्तान में विकिरण लीक “हो गया” है। बल्कि उन्होंने या तो दोनों देशों की तनातनी पर रिपोर्ट की, या फिर IAEA द्वारा कोई लीकेज नहीं होने की पुष्टि को खबर बनाया। बीबीसी, रायटर्स, अलजज़ीरा, इंडिपेंडेंट सबने साफ लिखा कि ये अफवाहें बेबुनियाद हैं और ज़िम्मेदार एजेंसियाँ इसे गलत बता रही हैं।

जितने भी दावे किए गए थे, वे एक-एक करके झूठे साबित हुए। किसी भी विश्वसनीय सबूत से ये पुष्टि नहीं हुई कि पाकिस्तान में कोई न्यूक्लियर हादसा हुआ था।

निष्कर्ष: अफ़वाह या हक़ीक़त?

“Pakistan nuclear radiation leak” की कहानी अंततः अफ़वाह ही निकली, कोई पुष्टि हुई हक़ीक़त नहीं। इस पूरे प्रकरण ने दिखाया कि युद्ध जैसे तनावपूर्ण माहौल में कैसे फ़ेक न्यूज़ या अफवाहें पनप सकती हैं और तेज़ी से फैल सकती हैं। सोशल मीडिया पर चंद अनवेरिफ़ाइड पोस्टों ने लोगों में दहशत पैदा कर दी, लेकिन सौभाग्य से अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय संस्थाओं ने त्वरित स्पष्टीकरण देकर स्थिति संभाल ली।

विश्वसनीय सूत्रों – जैसे अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी (IAEA), भारत-पाक सरकारी बयान – ने साफ-साफ कह दिया कि पाकिस्तान में किसी परमाणु संयंत्र से रेडिएशन लीक होने की घटना नहीं घटी। ना कोई आपातकाल घोषित हुआ, ना कोई विकिरण संक्रमण मिला, ना ही किसी अंतरराष्ट्रीय मॉनिटर ने ख़तरे की घंटी बजाई। बल्कि इस अफवाह के उलट हक़ीक़त ये रही कि 7-10 मई 2025 के भारत-पाक संघर्ष में दोनों पक्ष ने भले भारी नुकसान उठाए हों, पर परमाणु सुविधाएँ पूरी तरह सुरक्षित रहीं।

अफ़सोस की बात है कि कुछ मीडिया आउटलेट्स और ऑनलाइन यूज़र्स ने बिना पुष्टि ऐसी संवेदनशील खबर उछाल दी। परमाणु जैसी गंभीर विषय पर गलत सूचना से न सिर्फ जनमानस में डर फैलता है, बल्कि दो परमाणु देशों के बीच गलतफ़हमी बढ़ने का खतरा भी रहता है। पाकिस्तान के मामले में भी देखा गया कि इस अफवाह ने दोनों देशों के नेताओं को तीखी बयानबाज़ी का मौका दे दिया, जो हालात को और बिगाड़ सकता था।

ऐसे में सबक यही है कि किसी भी सनसनीखेज़ खबर पर तुरंत यक़ीन करने के बजाय विश्वसनीय स्रोतों से पुष्टि करना बेहद ज़रूरी है। खासकर परमाणु सुरक्षा जैसे मामलों में तो आधिकारिक बयान या अंतरराष्ट्रीय एजेंसी की रिपोर्ट का इंतज़ार करना चाहिए। इस घटना में सोशल मीडिया के दावों को अंतत: गलत साबित होना पड़ा, क्योंकि ज़मीनी सच्चाई अलग थी।

पाकिस्तान में परमाणु विकिरण रिसाव की खबर एक अफवाह थी, जिसे अंतरराष्ट्रीय व स्थानीय अधिकारियों ने खारिज किया है। मीडिया Narrative भी स्पष्ट रूप से इसी नतीजे पर पहुँचा है कि कोई रेडिएशन लीकेज नहीं हुआ। आम जनता को चाहिए कि ऐसे मामलों में घबराने या अफवाहें फैलाने की बजाय प्रामाणिक सूचनाओं पर भरोसा रखें। भारत और पाकिस्तान जैसे परमाणु संपन्न पड़ोसियों के संबंधों में तनाव भले नया नहीं, लेकिन हमें याद रखना होगा कि फ़र्ज़ी ख़बरें एक चिंगारी का काम कर सकती हैं। सचेत रहें, सूचित रहें, और तथ्यों पर भरोसा करें – न कि वाइरल सनसनी पर।

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