IMF ऋण की राशि और शर्तें
मई 2025 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान के 37 महीने के विस्तारित कोष कार्यक्रम (Extended Fund Facility) की पहली समीक्षा पूरी की। इसके तहत लगभग $1 बिलियन (SDR 760 मिलियन) की तत्काल किश्त जारी की गई, जिससे इस कार्यक्रम के कुल वितरण $2.1 बिलियन तक पहुँच गए।
साथ ही IMF ने जलवायु लचीलापन (Resilience and Sustainability Facility) योजना के तहत पाकिस्तान के लिए नया ~ $1.4 बिलियन (SDR 1 बिलियन) ऋण मंजूर किया। यानी कुल मिलाकर पाकिस्तान को IMF की मौजूदा सुविधाओं से करीब $2.4 बिलियन तक सहायता मिल गई। इन वित्तीय उपायों की शर्तों में आर्थिक सुधार, कराधान में वृद्धि, ऊर्जा क्षेत्र में सुधार और जलवायु वित्तपोषण को प्राथमिकता दी गई है।
IMF की आधिकारिक घोषणाएँ
IMF ने अपने प्रेस नोट में कहा कि पाकिस्तान की नीतिगत कोशिशों से अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। International Monetary Fund के उप-प्रबंध निदेशक नाइजल क्लार्क ने भी पुष्टि की कि पाकिस्तान ने ब्याज दरें घटाकर मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखा है, और विदेशी आरक्षित धन बढ़ाया है।
IMF ने यह भी बताया कि नया RSF ऋण पाकिस्तान को प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु जोखिमों का मुकाबला करने में मदद करेगा। कुल मिलाकर International Monetary Fund की ओर से यह कहा गया कि आर्थिक स्थिरता कायम रखी जा रही है, लेकिन वैश्विक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव अभी भी जोखिम बने हुए हैं।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान को फंड उपलब्ध कराने के फैसले पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने स्पष्ट किया कि भारत अपने IMF कार्यकारी निदेशक के माध्यम से पाकिस्तान के ऋण कार्यक्रम की समीक्षा की मांग करेगा। भारत का तर्क है कि पाकिस्तान ने पहले अनेक IMF कार्यक्रमों में वादे पूरे नहीं किए हैं।
वित्त मंत्रालय ने भी बयान दिया कि “आतंकवाद के प्रायोजित फैलाव को पुरस्कृत करना खतरनाक संदेश भेजता है।” IMF बोर्ड की बैठक में भारत ने मत नहीं दिया और बहस के दौरान कहा कि पाकिस्तान ये ऋण “सैन्य नियंत्रण और आतंकवाद” के संचालन में खर्च करेगा। इन बयानों में पाकिस्तान की आर्थिक अस्थिरता और सेना के प्रभाव को रेखांकित करते हुए चिंता जताई गई कि दिए गए फंड विकास में नहीं बल्कि सीरोपचारित गतिविधियों में जा सकते हैं।
भारतीय नीति और नजरिया
भारत की विदेश नीति इस मामले में स्पष्ट है कि IMF जैसी संस्थाओं को पाकिस्तान द्वारा धन के उपयोग पर सतर्कता बरतनी चाहिए। भारत ने बार-बार बताया है कि पाकिस्तान का आतंकवाद से संबंध रहा है और निरंतर IMF सहायता का नतीजा अक्सर असफल रहा है। इसी दृष्टिकोण से भारत ने IMF बोर्ड में पाकिस्तान को और ऋण देने की प्रथाओं की समीक्षा की मांग की।
मीडिया बयानों के मुताबिक भारत के नेतृत्व ने कहा कि पाकिस्तान को IMF प्रोग्राम का ‘मार्किंग’ करना चाहिए, अन्यथा ये फंड आतंकवाद को बढ़ावा दे सकते हैं। कुल मिलाकर भारत ने कहा है कि पाकिस्तान में शांतिपूर्ण विकास के बजाय सेना का वर्चस्व चिंता पैदा करता है और IMF को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
मीडिया कवरेज और राजनैतिक असर
भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने इस फैसले को दोनों देशों के बढ़ते तनाव के संदर्भ में देखा है। भारतीय अखबारों ने बताया कि हाल के माह में घाटी में आतंकवाद की घटनाओं के बाद यह ऋण आया है, इसलिए भारत ने तुरंत पुनर्विचार का अनुरोध किया।
Times of India ने लिखा कि वित्त मंत्रालय ने कहा, “आतंक के निरंतर समर्थन को पुरस्कृत करना खतरनाक संदेश है”। Business Today ने भी लिखा कि पाकिस्तान कुल $2.4 बिलियन हासिल कर चुका है और भारत ने आशंका जताई कि नए फंड का उपयोग आतंकवाद को बढ़ावा देने में हो सकता है। वहीं पाकिस्तानी मीडिया (जैसे Dawn) ने इसे “भारतीय दखलअंदाजी” की नाकाम कोशिश बताया और PM शहबाज शरीफ़ को उदारता दिखाने का संकेत माना।
Reuters और अन्य एजेंसियों ने भी रिपोर्ट किया कि IMF की मंज़ूरी से पाकिस्तान ने अपने बाहरी ऋण को स्थिर करने में मदद मिलेगी, जबकि दोनों परमाणु शक्तियाँ तनावपूर्ण माहौल में हैं। कुल मिलाकर, भारतीय परिप्रेक्ष्य में मीडिया ने इस ऋण को क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दों से जोड़ते हुए रखा है, वहीं पाकिस्तान इसे आर्थिक सुधार और अंतरराष्ट्रीय विश्वास का संकेत मान रहा है।